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कश्मीर अब विशेष नहीं

कनक दांगी ‘बृजलता’
गंजबासौदा(मध्य प्रदेश) 
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अब नहीं रहा कश्मीर विशेष,
अनुच्छेद ३७० व ३५-ए नहीं अब शेष।
पिछली सरकारों ने जिसे
गले की हड्डी की तरह लटकाये रखा,
मोदी सरकार ने उसे मामूली फाँस की भांति उखाड़ दिया।
यह एक सुखद समाचार है,
कश्मीर आज से अखंड भारत का राज्य है।
आज की तारीख
स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जायेगी,
पहली बार भारत माँ
मुस्कुराते हुए आज़ादी का उत्सव मनायेगी।
मन यूँ पुलकित हुआ जा रहा है,
वाह! मोटा भाई बड़ा मजा आ रहा है।
पहले नेता सिर्फ वादे करते थे,
आपने बिन कहे कर दिखाया है।
पुराने किस्सों को दोहराया नहीं,
नया कर सुनाया है।
हर-हर मोदी,वाह-वाह शाह,
प्रत्येक भारतीय हर्षाया है॥

परिचय-कनक दाँगी का जन्म १० मार्च १९९५ में वृन्दावन(मथुरा,उ.प्र.)में हुआ है। निवास वर्तमान में मध्य प्रदेश के विदिशा जिला स्थित गंजबासौदा में है। इनका उपनाम ‘बृजलता’ है। इन्होंने बी.ए.(अर्थशास्त्र) किया है,तथा एलएलबी में अध्ययनरत हैं। कार्यक्षेत्र में स्वतंत्र लेखक व व्यक्तिगत परामर्शदाता हैं। बृजलता के लिए वह हर वह वस्तु प्रेरणा पुंज है जो सोचने पर विवश कर दे। इसमें कुदरत से चींटी तक शामिल है। सुश्री दाँगी की लेखन विधा-कविता, कहानी,उपन्यास औऱ लेख आदि है। काव्याग्रह (कविता संग्रह-२०१६) प्रकाशित हो चुका है तो,स्थानीय तथा प्रदेश के पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है। आगामी कहानी संग्रह औऱ उपन्यास प्रकाशाधीन है। आप चित्रकारी सहित नौ भाषाओं के ज्ञान,अंकशास्त्र और ज्योतिष एवं समस्त धर्म शास्त्रों का अध्ययन रखती हैं।  अखिल भारतीय दाँगी क्षत्रिय गौरव सम्मान-२०१७ से आप सम्मानित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य आत्मिक शांति,समाज में बदलाव की आशा व साहित्य की ओर युवा वर्ग का रुझान जागृत करना है। 

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