कुल पृष्ठ दर्शन : 540

You are currently viewing तेरे लिए

तेरे लिए

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
*************************************************************************
गम हैं बहुत यहाँ पीने के लिए,
मगर खुशियाँ हैं कम यहाँ जीने के लिए।

गर मिटा नहीं सकता गम किसी का,दो कदम तो चल,
तेरी कोशिश ही बहुत है दर्द कम करने के लिए।

जोआज नहीं वो कल होगा,आज से बेहतर कल होगा,
जीवन के इस समय चक्र में,वक्त है कम कुछ करने के लिए।

गम न गिन,खुशियों के आगे गम कहाँ जाएगा,
गमों के दौर में खुशियों के दो पल बहुत हैं जीने के लिए।

मौन न रह,ये वक्त भी वक्त के दरिया में बह जाएगा,
जोश जगा मनोभावों में,शब्द बहुत हैं लिखने के लिए।

तेरी खुशी किसी का गम होगी,ये सोच कर गम न कर,
दुनिया को खुश करने में घाव बहुत हैं सहने के लिए।

दो कदम तो चल,साहस जो तेरा लड़खड़ाएगा,
हाथ पकड़ साथ ले किसी का,दोस्त बहुत हैं दोस्ती के लिए।

ये माना दुश्मन का काम गिराना होगा,
रख भरोसा,उसकी कृपा बहुत है उठाने के लिए॥

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

Leave a Reply