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नारी

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प: विधान-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १,७,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य)

बताओ कौन है ऐसा,मही नारी न हो जाया।
सिखा ईमान भी इनको,सखे बेबात भरमाया।
करें हम मान नारी का,सदा इंसान कहलाएँ,
इबादत हो अमानत की,यही संसार में माया।

करें सम्मान जननी का,विरासत ये चलाती है।
सभी दु:ख झेलने वाली,सुखी संतान भाती है।
गिरेबाँ झाँक लें खुद के,इनायत गौर कर लेना,
हमें राहें दिखाकर क्यों,अरे अपमान पाती है।

तलाकों की कहानी में,बहे जज्बात भी जाने।
किए जो त्याग नारी ने,उन्हें यारों बना गाने।
धरा पे कौन माते-सी,बसे आश्रम कहीं रहती,
बताओ किन गुनाहों का,यहाँ ये दंड है मानें।

कहानी नारि की ऐसी,जिसे मानी,जमाने में।
घुली हो दूध में चीनी,यही लायक समाने में।
बने जो देश के नेता,वही सोचें विधानों को,
मिले अधिकार नारी के,सँभालेंगी कमानों में।
ooooo
बाबूलाल शर्मा ‘बौहरा’ सिकंदरा,दौसा,राज.

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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