मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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मेल मोहब्बत राखिए,सुखी रहे परिवार।
सबको सुख पहुंचाइए,बांटो सबको प्यार।
शीतल मन को राखिके,करो नेक व्यवहार।
जभी भरोसा तोड़ते,बढ़ता दु:ख विस्तार।
सब अपने-अपने बने,नहीं किसी से द्वेष।
सबका मन हो शान्तिमय,परिवारिक उद्देश।
एक लक्ष्य सबका बने,एक बने प्रसार।
मेल जोल जिसमें रहे,वही सुलभ परिवार।
सबकी इज्जत राखिए,मिले प्रेम भरपूर।
आँखों में हो प्रेम रस,ये है जीवन नूर।
सबको संग मिलाइ के,सबका कर सम्मान।
यही जगत आधार है,यही मूल है ज्ञान।
गंगा जमुना की तरह,भाव लोक कल्याण।
जीवन सुखमय हो सदा,मिले मूल प्रमाण।