जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)…..
गुरु निर्माता भाग्य के, गुरु होते दिलदार।
होत महा ज्ञानी बड़े, पावन सोच-विचार॥
दे सुधार सन्मति करे, करे दुर्बुद्धि नाश।
डोर थमावै नाम की, काटे यम की पाश॥
बल प्रदान कर बुद्धि के, भरते मन विश्वास।
साहस संयम धीरता, गुण देते हैं खास॥
सदियों से चलता रहा, गुरु-शिष्यों के संग।
गुरु से ज्ञान समात है, सकल भरम का जंग॥
ज्ञान उजाला उर करे, दे जीवन चमकाय।
वो कुमार्ग छुड़वाय के, सच्ची राह दिखाय॥
मानवता ही धर्म है, यही पढ़ाये पाठ।
गुरुदेवन सम ज्ञान तो, बिके न कोई हाट॥
ज्ञान देय गूढ़ार्थ के, करते हैं उपकार।
जीवन सुखमय बनत है, गुरुवर है दातार॥
जीवन का मकसद बता, करे जीव उद्धार।
क्या करना अरु क्या नहीं, समझाते सब सार॥
वर्ण-वर्ण समझात है, शब्द-शब्द का सार।
गुरु वाणी निर्मल सदा, मानो अमिरस धार॥
प्रतिभा गुरू निखारते, दे विद्या का दान।
बने विदूषक मूढ़मति, गुरुवर मिले महान॥