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‘भाषा आदमी की अधिक जरूरत है,शौक नहीं।‘

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर वैश्विक ई-कवि सम्मेलन/समाचार में देना

मुम्बई(महाराष्ट्र)।

हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ संस्था द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ के अवसर पर मातृभाषा विषय को केंद्र में रखकर बहुभाषी वैश्विक ई-कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी थे,जिन्होंने ‘पहला मोर्चा भाषा का’ और ‘भटका हुआ भविष्य’ नामक कविताएं सुनाईं। उनकी पंक्ति थी ‘भाषा आदमी की अधिक जरूरत है शौक नहीं।‘
सम्मेलन के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ ने बताया कि,देश-विदेश के विभिन्न भारतीय भाषाओं के कवियों ने मातृभाषा के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए इसमें कविता पाठ किया। सुप्रसिद्ध उड़िया साहित्यकार एवं प्रधान आयकर आयुक्त श्रीमती परमिता ने उड़िया कविता का पाठ और उसका हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत किया।
नीदरलैंड से हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार पुष्पिता अवस्थी ने ‘माँ के बाद,मातृभाषा हमारी जननी है’ कविता से श्रोताओं को आह्लादित किया। ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय में तकनीकी प्रबंधन के विभागाध्यक्ष एवं कवि डॉ. सुभाष शर्मा ने ‘हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदी मेरी पहचान है’ कविता सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कोचीन से ई-कवि सम्मेलन में जुड़े मलयाली कवि संतोष अलेक्स सहित उप्र से कवयित्री शैलजा सिंह,गुजराती कवयित्री इंदु शांति वंदना,मराठी कवि दीपक करंदीकर ने भी अपनी कविता से मातृभाषा के प्रति प्रेम व्यक्त किया। अमेरिका से कवि सम्मेलन में शामिल कवि तथा तकनीकी वास्तुविद अशोक सिंह की काव्य पंक्तियां- ‘परदेस से आने वाले बता परदेस की मिट्टी में क्या खुशबू वतन की होती है ?’ ने श्रोताओं के मन में मातृभूमि और मातृभाषा के प्रति प्रेम को साकार किया तो मुंबई के कवि आलोक अविरल की कविता की पंक्तियां, ‘तुम अद्वितीय, तुम अद्भुत हो, जो तुम, चीरे वह विद्युत हो’ ने भी समां बांधा। अमेरिका से जुड़े कवि अमर त्रिपाठी ने कविता ‘तृप्ति मीत बनी हो कब से’ प्रस्तुत की तो नवोदित कवयित्री ने अपनी मातृभाषा और युवाओं की दुविधा को अपनी इन पंक्तियों में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया- ‘यदि बालमन में, मैं मातृभाषा सीखती तो यौवन में कोई द्वंद नहीं होता। अध्यक्ष पद पर आसीन संपादक व कवि आशीष कंधवे ने भी रचना प्रस्तुत की।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए डॉ. गुप्ता ‘आदित्य’ ने कविता ‘मातृभाषा का सबसे ऊंचा स्थान है’ से श्रोताओं को उद्वेलित किया। प्रारंभ में संस्था के संरक्षक सुंदरलाल बोथरा ने सभी कवियों का स्वागत किया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुम्बई)

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