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मैं मजदूर हूँ

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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मैं इस देश का मेहनती मजदूर हूँ,
मैं कभी पास अपने,कभी दूर हूँ।
हर इमारत की बुनियाद रखता हूँ मैं,
फिर भी कुछ कहते हैं मैं मजबूर हूँ॥

मैं प्रगति की इमारत की बुनियाद हूँ,
मैं हर मेहनत के सागर की फरियाद हूँ।
अपने खून-पसीने से सींचता हूँ मैं इसे,
फिर भूल जातीं जड़ें,नहीं किसी को याद हूँ॥

हम से ही लोग बड़ी-बड़ी शौहरत पाते हैं,
हम वही हैं जो कंधे पर इमारत बनाते हैं।
अपने जीवन की आँधी में दीए जलाते हम,
हम वही,जो हर रोज नया भारत बनाते हैं॥

हम श्रमिक हैं श्रम करते हैं,कोई पाप नहीं,
बहाते हैं इतना पसीना जिसका माप नहीं।
सुकून से सोते हैं थकानों की झोपड़ी में,
हम कार्य वो कर सकते हैं,जो आप नहीं॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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