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अंतरिक्ष में सैटेलाइट `सर्जिकल स्ट्राइक`

हेमेन्द्र क्षीरसागर
बालाघाट(मध्यप्रदेश)
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अटूट वादे व अटल इरादे से किसी भी समस्या का हल और मनवांछित फल को हासिल किया जा सकता है,जिसके परिणाम क्रमश: सैन्य,शोध व सामरिक क्षेत्रों में तो परिलच्छित होने लगे हैं। प्रादुर्भाव पहले सर्जिकल स्ट्राइक बाद एयर सर्जिकल स्ट्राइक और अब अंतरिक्ष में सैटेलाइट सर्जिकल स्ट्राइक ने देश को ब्रह्माण्ड की महाशक्ति बना दिया है। गगन में बड़ा धमाका भारत की ‘अंतरिक्ष क्रांति की जीती जागती मिशाल है। २७ मार्च को भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया। इसके तहत ३०० किमी आकाश में लो-आर्बिट जासूसी सैटेलाइट को ३ मिनट में नष्ट कर दिया। इसके पश्चात् राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि,अबकी बार अंतरिक्ष में घुसकर हमने किया है प्रहार। दरम्यान प्रधानमंत्री ने इस सिद्धि प्राप्ति पर वैज्ञानिकों,अनुसंधानकर्ताओं और जुड़े हुए कर्मवीरों को बधाई देकर देश की इस ऐतिहासिक कामयाबी का श्रेय इसरो,डीआरडीओ और देशवासियों को दिया।

अंतरिक्ष में रूस,अमेरिका और चीन के बाद भारत महाशक्ति बनने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। यह मिशन शाक्तिमान संचार,सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण और देश के लिए गौरवशाली है। जिसकी जितनी उत्कंठ मन से प्रशंसा की जाए,उतनी ही कम है। अतुलनीय स्वदेशी,तकनीकी और संचार की खासी उपलब्धि वैज्ञानिकों के कमाल,कर्मठता,योग्यता और प्रतिबद्धता की अहर्निश देन है। बेहतर भारत पर बुरी नजर रखने वालों की अब खैर नहीं,क्योंकि देश को नई क्षमता व ताकत प्राप्त हो गई। दुश्मन देश की संचार,सुरक्षा प्रणाली को नष्ट किया जाना आसान हो गया।

खासतौर पर पूर्ण रूपेण भारत में ही निर्मित मिसाइल से सैटेलाइट सर्जिकल स्ट्राइक की गई। सही मायनों ये देश की नई ऊर्जा,बढ़ती आर्थिक ताकत का परिचय और सामरिक साहस का प्रतीक है। प्रतिमान स्वदेशी,परवालंबन,वैज्ञानिक स्वयंसिद्धि,परिश्रम तथा सरकार की संकल्पित इच्छा शाक्ति से अधिष्ठित हुआ है। यकीन मानिए,इतिहास में ऐसे कम ही मौके आए होंगे,जब किसी देश ने अपने दम पर ऐसा विराट साहसिक कार्य किया हो। हकीकत भी यही बयां करती है कि,खुद पर भरोसा करो,अपनों पर भरोसा करो सफलता अवश्य मिलेंगी। यथेष्ट इसके पीछे अपने ही मैक इन इंडिय़ा,मैड इन इंडिय़ा और स्किल इंडियास्किल्ड इंडि़या का विशेष सांगोपांग है।

दरअसल,अंतरिक्ष मिशन ‘शक्ति’ अत्यंत कठिन ऑपरेशन था,लेकिन अंतरिक्ष में भारती सफलता का परचम वैज्ञानिकों के असाधारण योगदान से फहरा है। बहादुरी से देश का मान व सम्मान बढ़ा तथा अंतरिक्ष इतिहास में हिंदुस्तान नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया,वो भी किसी अंतर्राष्ट्रीय संधि व नियमों को तोड़े बिना। फलीभूत पृथ्वी पर बैठकर जासूसी उपग्रहों पर प्रक्षेपास्त्र से हमला करने में हम अब सक्षम हो गए। कहा जाता है कि,अगली लड़ाई अंतरिक्ष पर लड़ी जाना है,इसके लिए यह हिम्मतदारी,नेतृत्वकारी और तैयारी निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगी। लिहाजा,प्रक्षेपण से अंतरिक्ष में भारत ने अपना जो पराक्रम दिखाया,उसका दूरगामी असर आने वाले समय में पूरे विश्व पर पड़ना लाजमी है। बानगी में देश-विदेश से सधी हुई प्रतिक्रिया आने लगी। इस दौर में अमेरिका जैसे शक्ति संपन्न देश ने नासा के साथ इसरो मिलकर अंतरिक्ष में और अधिक मानव हितैषी काम करे,ऐसी इच्छा जाहिर की है।

अभिष्ट इस आर्थिक मंदी के दौर में भी सैन्य,आंतरिक्ष,राष्ट्रीय सुरक्षा, सरहद पर,विज्ञान,तकनीकी,शिक्षा,कौशल और आर्थिक दृष्टि समेत हरेक मामलों में राष्ट्र मजबूत और सुदृढ़ होकर उभरा है। बेहतरीन आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ महाशक्ति आज भारत ही है। अलौकिक आज सरकार ने अपने सेना,विज्ञान,वैज्ञानिकों और संसाधनों का बखूबी सम्मानजनक उपयोग कर कुछ कर गुजरने का पूरा खुला मौका दिया, परिवर्तन हमारे सामने है। इतर,पहले दूसरे देश इस ज्ञान और प्रतिभाओं का फायदा उठाकर हम पर आँख दिखाते थे,अब ये नामुमकिन है। ताज्जुब है पहले भी विज्ञान और बहुमुखी वैज्ञानिक थे,फिर क्यों मुनासिब नहीं हुआ,यह समझ से परे है ? बावजूद घर में ही लकीर के फकीर ढर्रेबाज मसले पर नुक्ता-चीनी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

खैर!,भारत आज हर तरह से आगे बढ़ रहा है या,यूँ कहें हम समय से दो कदम आगे है,चल रहे हैं कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। नतीजतन सर्जिकल स्ट्राइक से अब नहीं बचेगा,हमारे जल-थल-वायु और नभ पर निगाहें जमाए कोई आतंक,दुश्मन और जासूस। इसे कहते हैं नेतृत्व, नीति,नीयत और हिम्मत। अतः ये है तो सब मुमकिन है।

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