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आज ज़रूरत है कबीर की

पवन कुमार ‘पवन’ 
सीतापुर(उत्तर प्रदेश)

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चाटुकारिता जिसे न आये,
कविता में केवल सच गाये।
झूठे आडम्बर को तजकर,
ढाई आखर प्रेम सिखाये॥

चाहत है उस कलमवीर की,
आज ज़रूरत है कबीर की॥

जिसके संघर्षों की गाथा,
हर युग को नव पाठ सिखाये।
तन के शुद्धिकरण से ज्यादा,
जो निज मन को पाक बनाये॥

सच्चाई के शून्य धरातल पर,
शब्दों का गढ़ गढ़ता हो।
वेद-शास्त्र के साथ-साथ में,
लोगों की पीड़ा पढ़ता हो॥

तूफ़ाँ और बवंडर आये,
अडिग हिमालय-सा बन जाये।
निज प्राणों का मोह त्यागकर,
जो सुल्तानों से टकराये॥

ऐसे विद्रोही फ़कीर की,
आज ज़रूरत है…॥

पीर सुनाये जो जन-जन की,
पोल खोल दे काले धन की।
घटिया सोच सुना दे सबको,
नेताओं के अंतर्मन की॥

घोर कालिमा में प्रकाश की,
किरणों का आभास करा दे।
बंद नयन के खोल किवाड़े,
एक पुण्य अहसास करा दे॥

दीपक-ज्योति स्वयं बन जाये,
अँधियारे से आँख मिलाये।
जब तक स्नेह मिले बाती को,
जलकर वो प्रकाश फैलाये॥

सुख-दु:ख में सम परमधीर की,
आज ज़रूरत है कबीर की॥

परिचय-पवन कुमार यादव का साहित्यिक उपनाम ‘पवन’ है। आपकी जन्मतिथि २० जुलाई १९९१ और जन्म स्थान-ग्राम गनेरा,जनप-सीतापुर (उत्तर प्रदेश )है। यहीं पर आपका वर्तमान निवास है। उत्तर प्रदेश के श्री यादव ने स्नातक तक शिक्षा हासिल की है। आपका कार्यक्षेत्र कृषि कार्य करना है। साथ ही कविता लेखन भी करते हैं। लेखन विधा-छंद,गीत,मुक्तक तथा ग़ज़ल है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन मासिक पत्रिका सहित अंतरजाल और ई-पत्रिका पर भी हुआ है। प्राप्त सम्मान में आपके नाम साहित्य भूषण सम्मान-२०१७,श्रेष्ठ छंदकार सम्मान,साहित्य गौरव सम्मान एवं सवैया साधक आदि दर्ज हैं। पवन कुमार यादव की लेखनी का उद्देश्य राष्ट्रभाषा हिन्दी की प्रगति व राष्ट्र सेवा है।

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