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इश्क का रोग

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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इश्क का रोग बुरा है,इश्क न करिये कोय।
जो इस जग में इश्क करे,खूं के आँसू रोय॥
सवैया-
सखी इश्क का रोग मोहे ऐसो लगो है,
अपने होश गवां बैठी मैं।
जहाँ देखूँ वहाँ छवि पिया की,
इश्क का रोग लगा बैठी मैं।
मैं गिरधर की प्रेम दीवानी,
गिरधर के गुण गाय रही मैं
मैं पिया की,पिया है मोरे,
आस मिलन की लगा बैठी मैं
इस रोग के हाल न पूछो,
राँझ हीर की और हीर राँझ की
राँझा-राँझा गाये रही मैं।
जिसको लागा तीर इश्क का,
वह घायल आह लगा बैठी मैं।
लोक-लाज की छोड़ के चिन्ता,
गिरधर के मिलन को जाय रही मैं
सूली ऊपर सेज पिया की,
मिलन की आस लगा बैठी मैं।
ये री सखी मैं तो प्रेम दीवानी,
मैं तो प्रेम कहानी बनाय रही मैं।

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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