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एकता का पर्व दीपावली

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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दीपावली का पर्व आते ही ऐसा प्रतीत होता है कि, राम का आगमन हो गया है। अर्थात राम का नाम लेते ही मन में शांति-सा आभास हो जाता है। मन में शीतलता उत्पन्न हो जाती है। राम नाम स्मरण से सब काम स्वत: ही सिद्ध हो जाते हैं। दीपावली पर्व ऐसा पर्व है, जो सबको एक सूत्र में बांधे रखता है। यह त्योहार आस्था व विश्वास को जोड़े रखता है। जिस तरह राम के आगमन पर सब जगह खुशियां मनाते हुए मिठाई बांटकर दीप और पटाखे आदि जलाए गए, घरों में रंग-रोगन किया गया, वैसे ही राम के आगमन से दीपक का प्रकाश अंधकार को दूर करता हुआ चारों तरफ़ उजियारा फैलाता है। चारों ओर दीपों का प्रकाश बुराइयों को दूर करता हुआ उत्साह और उमंग से आगे निकल जाता है। इस प्रकाश का आगमन शुभ सूचना का संदेश है।
दीपावली के आते ही सब जगह खुशियाँ ही खुशियाँ नजर आती हैं। दीपोत्सव की बेला में माँ लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर का स्वागत कर दीपों को जलाना उनके आगमन का शुभ सूचक है। दीपावली आते ही पटाखे जलाकर सब दीपावली का त्योहार आस्था के साथ मनाते हैं। राम राज से सभी खिलें रहें, खुशियाँ फैली रहें, तभी तो लगेगा कि यही तो है राम राज। यानी दीपों का त्योहार, खुशियों का त्योहार।

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”