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गैर राजनीतिक पकौड़ा

अशोक कुमार सेन ‘कुमार’
पाली(राजस्थान)
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आज पकौड़े बनाना सीखा है,पर अब आप लोग यह मत बोल देना कि किसी दल विशेष का प्रचार कर रहा है। यह विशुद्ध गैर राजनीतिक पकौड़े हैं,जिनका एक मात्र उद्देश्य पेट की भूख शांत करना है।
आजकल सरकार स्वरोजगार के नाम पर राजनीतिक सियासी आँच पर पकौड़े तलना,पंक्चर निकलना,मवेशी चराने जैसी बातों को प्रोत्साहित कर रही है। पकौड़े बनाना सीखना भी एक कौशल है,और सरकार कौशल विकास पर जोर दे रही है,क्योंकि सरकारी नौकरी तो है नहीं,इसलिए स्वरोजगार को प्राथमिकता देनी पड़ती है। पकौड़े बनाने हो तो पहले मसालों का सटीक इल्म होना चाहिए। या यूँ कहें कि सभी चीज़ों का महागठबंधन हो,वो भी उचित अनुपात में तभी स्वाद बनेगा। दोयम में तेल की गर्माहट का अहसास करने के राजनीतिक कौशल की तरह अचूक अनुमान होना चाहिए,जैसे बेसन के घोल को तेल में छोड़ना होता है,उसी तरह विरोधी खेमे के असंतुष्ट को मौका देखते ही प्रलोभन देकर अपनी तरफ मिला देना। और हाँ,अपने खुद के हाथों को पूरी तरह बचाकर,क्योंकि दांव उल्टा पड़ जाए तो खुद के हाथ भी जल सकते हैं।
खैर,पकौड़े का आंनद जरूर लें,इसलिए गर्मी के इस मौसम में भी सर्दी का अहसास हो रहा है। बारिश भी आ रही है। आजकल राजनीति की तरह मौसम भी हो चला है,भरोसा नहीं कब बदल जाये। फिलहाल एक दो दिन ही सही,गर्मी से निजात तो मिली है।

परिचय-अशोक कुमार सेन का उपनाम ‘कुमार’ है। जन्म तारीख ३ मई १९८२ तथा जन्म स्थान-निमाज (जिला-पाली)है। वर्तमान में स्थाई पता निमाज (पाली)ही है। हिन्दी,अंग्रेजी व राजस्थानी भाषा की जानकारी रखने वाले श्री सेन की शिक्षा- स्नातकोत्तर है। आपका कार्यक्षेत्र-राजकीय कर्मचारी(नौकरी) का है। इनकी लेखन विधा-लेख और कहानी है। कुमार ब्लॉग पर भी लिखते हैं। लेखनी का उद्देश्य-लेखनी से मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। श्री सेन के लिए प्रेरणा पुंज-डॉ.अब्दुल कलाम हैं। विशेषज्ञता-समसामयिक आलेखन है।

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