एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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अभी बहुत दूर जाना और जिंदगी अभी बाकी है,
जोशो-ओ-जनून बने जाम-ओ-जिंदादिली बने साकी है।
हर पल कुछ करते-सोचते रहो काम कोई नया तुम-
ठहर गये जिस पल तो बनेगी ज़िंदगी बैसाखी है॥
यह अंत नहीं,दूसरी पारी की शुरुआत है,
आप यूँ खाली नहीं लिये,अनुभव की सौगात हैं।
जो अनसुलझी रही पहेली,वक्त मिला हल करने का-
अपनी रुचियां पूरी करने की तो आज हर बात है॥
सुखमय जीवन जीने का,हर पल आपके पास है,
भटक गये जो रिश्ते,उन्हें संवारने की अब आस है।
तेजी से बदल रही दुनिया,कदम मिलाकर चलें साथ-
इस नाजुक दौर में ध्यान रहे,स्वास्थ्य का खास है॥
नजर घुमा कर देखो,अनेक काम घर में ही करने को,
लिखो-पढ़ो-देखो,खेलो इस अवसाद को अब हरने को।
बहुत कुछ नया अब भी,जान सकते हैं इस उम्र में-
ये सोचो कि अभी सीखना और,वक्त नहीं डरने को॥