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जगराता

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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माता के दरबार में,जोत जले दिन-रात।
आओ भक्तों कर चलो,माँ से सौ-सौ बात॥

जगराता में मातु का,मंदिर जगमग होय।
दर्शन देते मातु है,अर्ज करे सब कोय॥

ढोलक बाजत साज है,नाचत है सब झूम।
बालक वृद्ध जवान भी,देख रहे हैं घूम॥

जगराता करते सभी,रहते हैं उपवास।
माता सबके दिल बसे,जो भी आते पास॥

माता की नवरात में,जगराता कर जाव।
मन की पूरी कामना,दर्शन से ही पाव॥

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