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जैसे को तैसा

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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एक शहर में राजवीर नाम का व्यक्ति था, जो बहुत ही घमंडी था। उसे अपने पिता रघुवीर जी के ज़िला अधिकारी होने का बहुत ज़्यादा घमंड था। उसे लगता कि, उसके जैसा और कोई नहीं है इस संसार में। राजवीर एक छोटे से दफ़्तर में काम करता था, वहाँ भी अपने पिता की धौंस जमाता और कोई भी काम ठीक से नहीं करता। सारा दिन केवल सबको आदेश देता-तुम ये काम करो, तुम ये….। सबको अपनी उँगलियों पर नचाता। इससे सब परेशान थे। कोई भी उसकी शिकायत कंपनी के बॉस से करता, तो बॉस उन लोगों को ही डाँट देता। कहता-तुम लोग अपना काम करो, उस पर ध्यान मत दो। बेचारे बाक़ी के कर्मचारी करें तो क्या करें, इंतज़ार था तो उस दिन का कि, कोई चमत्कार हो और बॉस का तबादला हो जाए, क्योंकि बॉस भी उससे डरता था। वह राजवीर को कुछ न कहता। एक भी काम नहीं करता, लेकिन उसका प्रमोशन ज़रूर होता। मेहनत कोई और करता, मलाई कोई और खाता। बेचारे करें, तो क्या करें। देखते-देखते काफ़ी समय बीत गया। सब-कुछ वैसा ही चलता रहा। एक दिन अचानक रघुवीर जी उसकी कंपनी में बिना बताए पहुँचे। वहाँ अपने बेटे राजवीर की सभी हरकतों को चुपचाप देखते रहे। यह सब देख कर रघुवीर जी को बड़ा दुख हुआ कि, यह मेरे ज़िला अधिकारी होने का ग़लत फ़ायदा उठा रहा है, इसे तो सबक़ सिखाना ही होगा। रघुवीर जी अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार, दयावान एवं हमेशा लोगों की सहायता के लिए खड़े रहते थे, और बेटा राजवीर उनसे विपरीत। दूसरे दिन रघुवीर जी ने कंपनी के बॉस का तबादला करवा दिया और नए बॉस को रखा, जो एकदम अलग ही था। साहसी, मेहनती और थोड़ा हिटलर जैसा, उसके सामने किसी की न चलती। आते ही सबसे पहले राजवीर को अपने कैबिन में बुलाया और सभी कामों की फ़ाईल माँगी।राजवीर एकदम चुपचाप खड़ा रहा, कुछ जवाब नहीं दिया। काम करता तो, जानता ना कि, कौन-सी फ़ाईल कहाँ रखी है! नए बॉस ने राजवीर को बहुत ही भला- बुरा और ये भी कहा-आपके पिता होंगे कहीं के अधिकारी, लेकिन मेरी कंपनी में मेरा ही नियम चलेगा। अब आप बाकी कर्मचारियों के साथ बैठकर काम करोगे, मैं आपको मैनेजर के पद से बर्खास्त करता हूँ।
शाम को राजवीर जब घर पहुँचा, तो ग़ुस्से से तमतमाते हुए पिता रघुवीर जी से बोला- पिता जी ये कंपनी के नए बॉस को यहाँ से हटाओ, उसका तबादला करवा दो…।रघुवीर जी सब जानते हुए भी अनजान बने सब सुनते रहे। बोले-बेटा शांत हो जाओ, अब मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मेरा भी तबादला हो गया है। यह सुन राजवीर कुछ भी नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया।
राजवीर अपने काम पर जैसे ही पहुँचा, सामने बॉस बैठे थे और घड़ी की ओर इशारा करके बोले-ये टाइम है आपके आने का! पूरे २० मिनट लेट हो। वे अपने कैबिन में चले गए और फिर से राजवीर को बुलाया, एवं ढेर सारा काम पकड़ा दिया, और बोले-मुझे शाम को ५ बजे तक ये सब फाईल पूरी करके चाहिए। अब राजवीर एकदम परेशान, करे तो क्या करे, वह सोचता रहा कि, जिस इंसान ने कभी फ़ाईल खोलकर भी नहीं देखी थी, न कोई काम किया, अब कैसे होगा ?

अब बॉस राजवीर को अपनी उँगलियों पर नचाता। बार-बार राजवीर को बुलाता और नया-नया काम देता। कम से कम दिनभर में ५ से १० चक्कर बॉस के कैबिन में लगते। बाकी के कर्मचारी अपना-अपना काम ख़ुशी से करते और मन ही मन कहते ‘जैसे को तैसा…जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल पाओगे।’