स्वराक्षी ‘स्वरा’
खगड़िया (बिहार)
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सनम दिल जान से मैं तो, तुम्हें ही प्यार करती हूँ।
बहुत ही कीमती है तू, तुम्हें खोने से डरती हूँ॥…
मुझे दिन रात ही अब तो, तुम्हारी याद आती है,
तुम्हें मैं कह नहीं पाऊं, मुझे कितना सताती है।
नहीं परवाह दुनिया की, कसम खा के ये कहती हूँ,
बहुत ही कीमती…॥
कि ऐसे रूठना तेरा, मुझे अच्छा नहीं लगता,
सिवा तेरे जहां में तो कोई सच्चा नहीं लगता।
खुदा से पहले जाने जां तुम्हें ही याद करती हूँ,
बहुत ही कीमती…॥
सताया है मुझे सबने, कि मेरा दिल भी तोड़ा है,
मुलायम थी ‘स्वरा’ सबसे, तभी इतना मचोड़ा है,
नहीं मेरा कोई अब है, तुम्हीं से आस करती हूँ।
बहुत ही कीमती…॥