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तू है ना

देवेन्द्र कुमार शर्मा ‘युगप्रीत’
अजमेर(राजस्थान)
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सवाल कैसा भी हो,हल हो ही जाता है,
तू है ना तो सब हो ही जाता है।

इतना भी नही अदीब मैं,कि सब जान सकूँ,
गिर्द में तेरे आने पर अफसोस मिट सा जाता है।
तू है ना तो सब हो ही जाता है…ll

गमगुस्सार जितने थे सब चले गए,
अस्हाब तेरे होने से ग़म मिट सा जाता है।
तू है ना तो सब हो ही जाता है…ll

गरज़ इतनी है, कि तू जिंदा रखना,
बेइनायती तेरे होने से अब्द मर-सा जाता है।
तू है ना तो सब हो ही जाता है…ll

परिचय-देवेन्द्र कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-युगप्रीत हैl जन्म तारीख १ जुलाई १९८४ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl वर्तमान में आपका निवास जयपुर रोड (अजमेर) पर हैl आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, राजस्थानी और मलयालम भाषा का ज्ञान है। राजस्थान निवासी श्री शर्मा की शिक्षा-स्नातकोत्तर (अंग्रेजी) और बीएड हैl इनकी लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है तो कार्यक्षेत्र-राजकीय सेवा (अध्यापन) हैl आप सामाजिक गतिविधि के तहत गरीब बच्चों को पढ़ाते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी भावनाओं को जनमानस तक पहुँचाना हैl प्रेरणापुंज-माताजी श्रीमती प्रेमलता शर्मा हैं जबकि पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद हैंl `युगप्रीत` की विशेषज्ञता-ग़ज़ल लिखने में हैl देश एवं भाषा के प्रति विचार-“मेरी मातृभाषा हिंदी का सदैव कृतज्ञ हूँ,तथा प्रभु का आभारी हूँ कि भारतवासी हूँ।”

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