भोपाल (मध्यप्रदेश)
हर कोई है जी रहा लिए दोहरे रूप,
हर इंसान का बदला हुआ है स्वरूप।
हर रिश्ते से खेल रहा इंसान,
बिक गया सबका ईमान।
जार-जार हो रही मासूमियत,
शर्मशार हो रही है आज इंसानियत।
हर शख्स ने पहना है नकाब,
इस मसले का नहीं है कोई जवाब।
सबकी जिंदगी पर है डर का साया,
आज फिर दहशत रुख आया।
आज के दोर में है दुःख का पहरा,
हर चेहरे पर है धोखे का सेहरा॥
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है।