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धरती माँ

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………


धरती माँ के,
अखण्ड रूप को
खण्ड-खण्ड
करते हो क्यों ?

कहते हो
माता धरती को,
माता के टुकड़े
करते क्यों ?

काट-काट कर
वृक्ष धरा से,
नग्न धरा को
करते क्यों ?

अपने निज
स्वार्थ के कारण,
धरती का दोहन
करते क्यों ?

कुकर्मों से
अपने तुम,
माँ धरती को
कलंकित
करते क्यों ?

अर्थ से ही
अर्थ जीवन का,
इसे निरर्थक
करते क्यों ?

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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