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धरती से है इंसान

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………

धरती अपनी धारिणी,माता रूप समान।
करो वन्दना प्रेम से,इनसे हैं इंसान॥

इनमें हैं सारा जहां,सारा हिंदुस्तान।
तिलक लगा माथा इसे,चन्दन बने महान॥

माता मेरी ये धरा,हरियाली चहुँओर।
सूरज करते भोर हैं,पक्षी करते शोर॥

वीरों की क़ुर्बानियाँ,इसी धरा की शान।
भारत के बेटा सभी,करते हैं गुणगान॥

सुन्दर स्वर्ग समान है,खुशियाँ मिले तमाम।
वसुंधरा की गोद में,मिलती है आराम॥

रत्नों का भण्डार है,भारत भूमि विशाल।
इस धरती की लाज को,रखना सभी सम्हाल॥

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