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धूप

सुशांत सुप्रिय 
ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश)

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उदास-सा मैं इंडिया गेट के मैदान में चला आया था।कुछ जोड़े किनारे की घास पर बैठे थे।किशोर मैदान में क्रिकेट खेल रहेथे। वह एक धूसर-सा दिन था।आकाश बादलों से ढँका था। सामने से एक ढाई-तीन साल की बच्ची अपनी माँ की उँगली पकड़े चली आ रही थी।जब वे मेरे बग़ल में पहुँचे तो मैंने प्यार से बच्ची को ‘हलो बेटा’ कहा। बच्ची पहले थोड़ा शरमा गई।फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारी मुस्कान दी और मुझे लगा जैसे मेरे भीतर-बाहर गुनगुनी धूप खिल गई हो।

परिचय :सुशांत सुप्रिय का निवास ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र.) में है। इनकी प्रकाशित पुस्तकें-कथा संग्रह-हत्यारे, हे राम,दलदल,पिता के नाम एवं ग़ौरतलब कहानियाँ सहित काव्य संग्रह-इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं और अयोध्या से गुजरात तक तथा अनुवाद-विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ,विश्व की चर्चित कहानियाँ एवं विश्व की कालजयी कहानियाँ आदि हैं।

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