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धड़कन

वन्दना पुणताम्बेकर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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नौ महीनों का दर्द सहकर
एक नया अंकुर खिलाती,
उस गुंजन के कलरव से वह
खुशियों से वह झूम जाती।
उस खुशी का एहसास क्या होता…,
एक माँ से पूछो॥

ममता की छाँव में अपने
नौनिलो को लोरी की तान सुनाकर,
मन विभोर करती
फिर उस सूनी गोद का दर्द सहती।
उस दर्द की पीड़ा क्या होती…,
एक माँ से पूछो॥

छोड़ गया वो आशियाँ
उड़ गया वो परिंदों की तरहा,
हर दर्द की वो तड़प
बिलख रही तार-तार हो रही।
उसकी हर एक साँस
सूना हो चुका उसका आँगन,
सूने आँचल को फैलाकर
टकटकी लगाए रही वो नजरें।
उन नजरों का इंतजार क्या होता…,
एक माँ से पूछो॥

तस्वीर हो गई वो यादें
वो बातें,
हर त्योहार में बस उस तस्वीर का दीदार करती
अब ये सूनी आँखें।
उन आँखों का सूनापन क्या होता…,
एक माँ से पूछो।
एक माँ से पूछो…॥

परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर १९७० है। इंदौर जिला निवासी वंदना जी की शिक्षा-एम.ए.(समाज शास्त्र),फैशन डिजाईनिंग और आई म्यूज-सितार है। आप कार्यक्षेत्र में गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधियों के निमित्त आप सेवाभारती से जुड़ी हैं। लेखन विधा-कहानी,हायकु तथा कविता है। अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं,जिसमें बड़ी कहानियां सहित लघुकथाएं भी शामिल हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-रचनात्मक लेखन कार्य में रुचि एवं भावनात्मक कहानियों से महिला मन की व्यथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है। प्रेरणा पुंज के रुप में मुंशी प्रेमचंद जी ओर महादेवी वर्मा हैं। इनकी अभिरुचि-गायन व लेखन में है।

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