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नया वर्ष आया, खुशियाॅं लाया

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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रचनाशिल्प:१६-१४ के क्रम में ४ चरण प्रति छंद में कुल ३० मात्राएं, अनिवार्य रूप से चरणान्त में ‘मगण (sss) ३ गुरु वर्ण (२२२) का प्रयोग।

नया वर्ष भारत का आया।
खुशियाॅं साथ सजा लाया॥
पर्व गुड़ी पड़वा ये भाया।
इसका सुख सबने पाया॥

आओ गीत खुशी के गाएं।
गीतों से खुशियाॅं पाएं॥
साथ सभी के प्रभु जी आएं।
देख उन्हें दुख भी जाएं॥

श्रद्धा के दीपों की माला।
से जलता दुख का भाला॥
सबको अभिभावक ने पाला।
कोख बने माँ देवाला॥

माता और ईश जब आते।
श्रोत सुखों के तब लाते॥
इनसे सब सुख जग में पाते।
ये ही तो मन को भाते॥

आध्यात्म गुणों से है न्यारी।
लगती है सबसे प्यारी॥
हिन्द राष्ट्र की धरती सारी।
महिमा में सबसे भारी॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।