बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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नारी जीवनदायिनी, नारी से संसार।
नारी से घर-द्वार है, नारी मूरत प्यार॥
नारी मूरत प्यार, सजा रख दिल में अपने।
शक्ति बिना क्या सोच, कभी पूरे ये सपने॥
कहे ‘विनायक राज’, नहीं नारी बेचारी।
मान और सम्मान, सुखद हो जीवन नारी॥