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निरुत्तर

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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“अरे! शुक्ला जी आप ? कैसे हैं आप ? आप तो ‘ईद का चाँद’ हो गए हैं। रिटायर क्या हुए, आपके तो दर्शन ही दुर्लभ हो गए।” दिनेश ने सब्जी के ठेले पर टमाटर के मोल-भाव करते हुए शुक्ला जी से कहा।
मुस्कुराते हुए शुक्ला जी ने कहा,-“दिनेश तुम बिलकुल नहीं बदले। आज भी सवालों की बौछार करना नहीं छोड़ा। वैसे, मैं एकदम बढ़िया हूँ। तुम सुनाओ।”
दिनेश ने सवालों की बौछार वाली बात सुन थोड़ा झेंपते हुए अपना हाल-चाल बताया।
“आज इधर कैसे ?” दिनेश ने पूछा।
“रिटायरमेंट के बाद कुछ करने के लिए बचा ही नहीं। घर में बैठे-बैठे ऊब जाता हूँ। जब तक रूणाक्षी थी, तो वक्त बातचीत और उससे नोक-झोंक में बीत जाता था, लेकिन अब बिन साथी जीना बड़ा कष्टमय-सा…।” मन:भाव व्यक्त करते हुए शुक्ला जी ने कहा।
“भाभी जी का पता ही न चला। उनके जाने का अफसोस हुआ। वाकई, बिन जीवनसाथी जीवन सरल नहीं होता।” सांत्वना व्यक्त करते हुए दिनेश ने कहा।
“समय कट जाए, इसलिए घर के छोटे-छोटे काम में बहू की मदद कर देता हूँ। कितनी जिम्मेदारियाँ हैं उस पर। इसलिए, शाम को बच्चों को पार्क घुमाने और सब्जियाँ आदि लेने चला आता हूँ।” शुक्ला जी ने कहा।
“शुक्ला जी चलो एक-एक कप चाय हो जाए।” दिनेश ने कहा।
“क्यों नहीं !” शुक्ला जी ने कहा।
जब चाय का बिल देने के लिए दिनेश ने पॉकेट से पैसे निकाले, तो शुक्ला जी ने उसका हाथ वहीं रोक दिया और कहा,-“दिनेश मुझे कमजोर न समझो। मैं बहुत किस्मत वाला हूँ कि, संस्कारी बेटे-बहू के चलते अभावों का सामना न करना पड़ा। आज भी दिल खोलकर खर्च करता हूँ। ईश्वर ऐसी संस्कारी संतान सबको दें। वरना तो इस कलयुग में…।”

यह सुन दिनेश निरुत्तर था। अब बिल का भुगतान कर दोनों दोस्त गलबहियाँ कर खिलखिलाते हुए बाहर निकल गए।

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl