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पाकिस्तान:सावधान रहना होगा भारत को

 डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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भाई जैसा दोस्त नहीं और भाई जैसा दुश्मन नहीं।पुलमामा काण्ड के बाद पूरा देश बेसब्री से इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि भारत देश कोई ऐसा कदम उठाये जिससे दुश्मन के हौंसले पस्त हो जाए। भारत देश की तैयारी बहुत गंभीरता पूर्ण रही,जैसे गहरी नदी का पानी ऊपर से शांत और अंदर तेज बहाव रहता हैं। नरेन्द्र मोदी पूरी चौकीदारी से अपना काम निभा रहे थे,पर उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि सेना को पूरी छूट दे दी गयी है,और सही समय का इंतजार रहा एवं उन्होंने २६ फरवरी को हमले को अंजाम दे दिया। भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई सैन्य कार्यवाही न करके मात्र पाकिस्तान के पनाहगार आतंकवादियों के ठिकाने पर बमबारी की और बिना किसी जन की हानि किये वापिस आ गए। इस पर स्वाभाविक है कि पाकिस्तान सरकार को उनका कोपभाजन बनना पड़ा होगा और उन्होंने भी कायराना हमला करने की कोशिश की,जो सफल नहीं हो सकी।
हमारे देश में इस वक़्त बहुत जोश का माहौल है और सब जगह हमारे देश की सेना की वाह-वाही हो रही है,जो स्वाभाविक है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा उठाये गए कदम की प्रशंसा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है,और हम सब दुश्मन को अपने मुकाबले कम आंक रहे हैं! यह स्वाभाविक भी है,पर यह कहीं हमारी नादानी या भूल न हो जाये। कारण नंगा खुदा से बड़ा होता है। पाकिस्तान यह सोच ले कि हम तो सनम डूबेंगे और तुम्हें भी ले डूबेंगे,इस पर ध्यान देना होगा।
‘स्वल्प इत्यन्या बुद्ध्या कार्यावज्ञा न वैरिणी!’ यानी छोटा समझकर शत्रु की अवज्ञा नहीं करनी चाहिए।
‘लब्धरन्ध्रा न तिष्ठेयुरकृत्वापकृतिं द्विषः!’ यानी छिद्रान्वेषी शत्रु अपकार बिना नहीं रहते।
‘खलूपेक्ष्य लाँघियानव्यूच्छेद्यो लघुतादृशाः!’ शत्रु यदि छोटा भी हो तो वह उपेक्षणीय नहीं है।
‘नानुबन्धं त्यजतयारिः!’
शत्रु अपने संस्कार का त्याग नहीं करता है।
अभिप्राय यह है कि यदि बैरी विनम्र वचन भी बोले तो भी उसका विश्वास न करो,क्योंकि धनुष जितना अधिक झुकेगा,उतना ही अधिक अनिष्ट सूचक होगा।
वैसे पाकिस्तान से लड़ाई कोई नई बात नहीं है। उसका कारण उनकी कौम हमेशा हिंसा में भरोसा रखती है,और दूसरा “नीच निवास ऊंच करतूति,देख सखी न परायी विभूति” दरिद्रता इतनी अधिक होने से वह चारवाक सिद्धांत का पालन करता है। उसके हर नागरिक पर लाखों रूपया कर्ज है। कभी वहां स्थिर सरकार नहीं रही,हमेशा मुल्ला मौलवियों,सेना, उग्रवादी और चीन या अमेरिका का उनकी सरकार पर हस्तक्षेप रहा है। गरीबी ने उसको गर्त में डाल दिया है। पाकिस्तान ने अपना एक व्यापार दहशतगर्ज़ी बनाया, आतंकवादियों को पनपाया और उनके माध्यम से विश्व में आतंक बढ़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार होता है। चाहे मुंबई काण्ड हो या अमेरिका में २६/११हो। इस कारण पाकिस्तान की छवि विश्व स्तर पर धूमिल पड़ गयी है। भारत सरकार ने भी कूटनीति का सहारा लेकर उसे अलग-थलग कर दिया है।
इस समय भारत सरकार को इतनी सावधानी रखनी चाहिए,जिससे शत्रु उसकी कमजोरी न जान सके और यदि शत्रु की कमजोरी मालूम पड़ जाए,तो उस पर चढ़ाई अवश्य करें। सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार कच्छप अपने सभी अंगों को छिपाकर रक्षा करता है,उसी प्रकार राजा भी अपने सभी अंगों (अमात्य,राजा,राष्ट्र, दुर्ग कोष बल और सुह्रद )की रक्षा करे और अपनी कमजोरी छिपाये।
संसार में समझदारों का कार्यारम्भ प्रयोजन सिद्ध करने के ही उद्देश्य से होता है। जब तक समय बदलकर अनुकूल न हो जाये,तब तक दुशमन को भी कंधे पर बिठाकर ढोना पड़े तो ढोता रहे,पर जब समय अपने अनुकूल हो जाए तब उसे उसी प्रकार नष्ट कर दे,जैसे घड़े को पत्थर पर पटककर फोड़ा जाता है। दुश्मन बहुत दीनतापूर्वक वचन कहे तो भी उसे जीवित नहीं छोड़ना चाहिए।
इस समय इस बात की बहुत चर्चा हो रही है कि एक बार आर-पार की लड़ाई हो जाये। यह कहना सरल है पर इसके क्या-कितने दुष्परिणाम होंगे,यह कहना-समझना संभव नहीं है। यह व्यक्तिगत लड़ाई न होकर एक समुदाय की लड़ाई है, जो जेहाद आदि के नाम से क्या क्या कर सकती है,पर यदि हमें मौका मिले तो उसे अधमरा न छोड़ें,कारण कि वह बहुत घातक होता है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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