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पेड़ पुकारते हैं

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद (गुजरात ) 
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पेड़ पुकारते हैं,
जब रात में सो रहे होते हैं पेड़
धूप और चिड़िया
के स्वप्न में डूबे होते हैं,
वे आरियाँ चलाते हैं
अंधेरे में
चुपचाप।

धड़ाम- धड़ाम….
वे गिरते जाते हैं पृथ्वी पर,
सोए हुए पर प्रहार
कायरता है,
धूप और चिड़िया
स्वप्न में ही
क्षत-विक्षत,
वे ताकते हैं बस्तियों की ओर।

सुलग उठती हैं बस्तियाँ
राख़ हो जाते हैं जंगल,
सब अंधेरे में
उनका रुदन हवा के पेट को
चीरता,
खोजता है जबाब…
नहीं बजता
पेड़ के पेट में पानी।

मूकदशी चुप्पी में
लुका-छिपी,
किसकी शामत है
डाल दें,
शेर के जबड़े में हाथ।

हवा,पानी,रोटी
निगल रहा है वह,
फक़त
इमारतों की खातिर,
झुग्गी-झोपड़ियों में
बसे लोग मारे जा रहे हैं।

बुझ जाती हैं सुलगकर चिंगारियाँ,
नीली बावड़ी में जा गिरती है चीख़।

वे पेड़ काट रहे हैं
कट भी रहे हैं स्वयं,
बुद्ध भी नहीं नहीं दिखा पायेंगे राह,
फूट चुकी है इनकी आँखें।

रातभर चलती हैं आरियाँ,
भरी आँखों में
मैदान निकल आते हैं।

भीतर रोते हैं पेड़,
पुकारते हैं-‘बचाओ’…।

आरियाँ चल रही हैं रोटी पे,
आरियाँ चल रही हैं बच्चों की नींदों में
आरियाँ चल रही है धरती के बछड़े पर,
शिकारी ले जाता है रोहूँ का मध्य भाग
छोड़ जाता है
घास-फूस,पत्ता
बकरियाँ-भेड़ चरेंगी,
बनेगा
उनके स्तनों में गुनगुना दूध
एकाध दिन,
जब हम सो रहे होते हैं रात में
तब पेड़ पुकारते हैं हमें,
नहीं होंगे पेड़
तब चीखेंगे हम,
हम किसे पुकारेंगे…॥

परिचयडाॅ.आशासिंह सिकरवार का निवास गुजरात राज्य के अहमदाबाद में है। जन्म १ मई १९७६ को अहमदाबाद में हुआ है। जालौन (उत्तर-प्रदेश)की मूल निवासी डॉ. सिकरवार की शिक्षा- एम.ए.,एम. फिल.(हिन्दी साहित्य)एवं पी.एच.-डी. 
है। आलोचनात्मक पुस्तकें-समकालीन कविता के परिप्रेक्ष्य में चंद्रकांत देवताले की कविताएँ,उदयप्रकाश की कविता और बारिश में भीगते बच्चे एवं आग कुछ नहीं बोलती (सभी २०१७) प्रकाशित हैं। आपको हिन्दी, गुजराती एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी कलम से गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर चौधरी के उपन्यास ‘विजय बाहुबली’ का हिन्दी अनुवाद शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। प्रेरणापुंज-बाबा रामदरश मिश्र, गुरूदेव रघुवीर चौधरी,गुरूदेव श्रीराम त्रिपाठी,गुरूमाता रंजना अरगड़े तथा गुरूदेव भगवानदास जैन हैं। आशा जी की लेखनी का उद्देश्य-समकालीन काव्य जगत में अपना योगदान एवं साहित्य को समृद्ध करने हेतु बहुमुखी लेखनी द्वारा समाज को सुन्दर एवं सुखमय बनाकर कमजोर वर्ग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और मूल संवेदना को अभिव्यक्त करना है। लेखन विधा-कविता,कहानी,ग़ज़ल,समीक्षा लेख, शोध-पत्र है। आपकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और आकाशवाणी से भी प्रसारित हैं। काव्य संकलन में आपके नाम-झरना निर्झर देवसुधा,गंगोत्री,मन की आवाज, गंगाजल,कवलनयन,कुंदनकलश,
अनुसंधान,शुभप्रभात,कलमधारा,प्रथम कावेरी इत्यादि हैं। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको-भारतीय राष्ट्र रत्न गौरव पुरस्कार(पुणे),किशोरकावरा पुरस्कार (अहमदाबाद),अम्बाशंकर नागर पुरस्कार(अहमदाबाद),महादेवी वर्मा सम्मान(उत्तराखंड)और देवसुधा रत्न अलंकरण (उत्तराखंड)सहित देशभर से अनेक सम्मान मिले हैं। पसंदीदा लेख़क-अनामिका जी, कात्यायनी जी,कृष्णा सोबती,चित्रा मुदगल,मृदुला गर्ग,उदय प्रकाश, चंद्रकांत देवताले और रामदरश मिश्र आदि हैं। आपकी सम्प्रति-स्वतंत्र लेखन है।

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