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प्रीत की पुकार से

प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप)
देवघर(झारखण्ड)
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प्रीत की पुकार सेl
रीत की गुहार सेl
हो नहीं अधीर-सा।
ठोक ताल बीर-सा।

है धरा पुकारती।
है तुझे गुहारती।
सत्य पे डटे रहो।
क्षेम पे गहे रहो।

कृष्ण-सा कहो वही।
पार्थ-सा लड़ो कहीं।
सोभती भुजंग वो।
रोक पाश जंग जो।

धीर-सा रहो कहीं।
चीर-सा फटो नहीं।
रीत प्रेमजीत हो।
सोच काज शील हो।

 परिचय : प्रभात कुमार दुबे(प्रबुद्ध कश्यप)की शिक्षा-बी.ए.(इतिहास-प्रतिष्ठा) तथा डी.एल.एड. जारी हैl आपका जन्म स्थान-बिहार में जमुई स्थित मालवीया नगर (सोहजना) हैl वर्तमान में देवघर(झारखण्ड)में बसे हुए श्री दुबे का अनूठा कार्य हैl आप २००७ से २००९ तक सरकारी स्कूल (बिहार) में रहेl अब जहाँ भी शिक्षक की कमी हो,मुफ्त में स्कूल में जाकर पढ़ाते हैं,वह भी किसी नाम या शोहरत के बिना हीl आपने २०१० में बैंगलोर में निजी संस्थान में कार्य किया,साथ-साथ एक दल में राजनीतिक सक्रियता भी जारी रखीl वर्तमान में श्री दुबे निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैंl आपका लेखन कार्य बचपन से आज तक बिना किसी सहायता के सिर्फ माँ सरस्वती के आशीर्वाद से जारी हैl साहित्य की हर विधा को आज भी सीखने को तत्पर रहने वाले श्री दुबे को पता नहीं है कि,कितना लिखा,कब से लिखा और क्या-क्या लिखा है। लेखन पसन्द होकर आप सभी विधाओं में लिखते हैंl लेखन की उपलब्धि यही है कि,ऑनलाइन साहित्यिक मंच पर भी रचनाओं का प्रकाशन हो रहा हैl

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