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फौजी

देवेन्द्र कुमार ध्रुव
गरियाबंद(छत्तीसगढ़ )
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वतन परस्ती के जमाने में बनते हैं किस्से,
देश पर मर मिटने वाले होते हैं फरिश्ते,
वो मरकर भी,दुनिया में अमर हो जातेे हैं,
शहादत आती है,जिन लोगों के हिस्से।

दिल में रखते हैं जज्बा,रगों में होता जुनून,
देश के काम आकर पाते हैं,चैन और सुकून,
किसी भी बात की कभी,फिक्र नहीं इनको,
जो नौजवान चल पड़े हों कुर्बानी के रस्ते।

देशसेवा के अलावा,कुछ भी ना सूझा है,
वतन का नाम इनके लिए सबसे ऊँचा है,
ये फौजी अपना फर्ज,बखूबी निभाते हैं,
भूलकर सारे स्वार्थ और अपने नाते-रिश्ते।

सरजमीं पे पड़ने नहीं देते,पाँव दुश्मन का,
कबूल इनको जिस्म पे,दिया घाव दुश्मन का,
आग सीने में लिये आगे बढ़ते,मंजिल पाने,
फिर बन के कहर,अपने दुश्मनों पर बरसते।

हम सबका जीवन है,इस देश पर उधार,
इसकी अदायगी को फौजी रहते तैयार,
लहू की आखिरी बूंद,आखिरी साँस तक,
चुकाते हैं शान से,अपने कर्ज की किश्तें।

जब-जब दुश्मन कोई,आँख दिखाता है,
तब देश का सिपाही ही आगे आता है,
देशवासियों को सुकून भरा जीवन देने,
अपने प्राण देते हैं,ये फौजी हँसते-हँसते।

फौजी हरदम,सरहद पर तैनात रहते हैं,
कितनी ही मुश्किलें वो,चुपचाप सहते हैं,
अमन-चैन सबके लिए कायम रखते हैं,
भले खुद रह जायें ये,खुशियों को तरसतेll

परिचय- देवेन्द्र कुमार ध्रुव का स्थाई निवास छत्तीसगढ़ के ग्राम बेलर(जिला-गरियाबंद)में है। इनकी जन्म तारीख २४ अक्टूबर १९८८ एवं जन्म स्थान-बेलर (फिंगेश्वर)है। शहर बेलर से सम्बन्ध रखने वाले देवेन्द्र जी की शिक्षा-स्नातकोत्तर और कार्यक्षेत्र-अध्यापन(सहा. शिक्षक) है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय सहभागिता से विभिन्न आयोजनों में संचालन करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,मुक्तक तथा ग़ज़ल है। रचनाओं का प्रकाशन आंचलिक पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है।जिला स्तर पर आप साहित्यकार सम्मान पा चुके हैं। विशेष उपलब्धि-आंचलिक कवि सम्मेलनों में सहभागिता है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन की बातें सबके सम्मुख रखना और हिन्दी का प्रचार करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिताजी की कविता है। रुचि लेखन में ही है।

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