कुल पृष्ठ दर्शन : 172

You are currently viewing बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

डॉ.साधना तोमर
बागपत(उत्तर प्रदेश)
***************************************************************
शालू ग्रीष्मकालीन अवकाश में एक महीने के लिए बच्चों के पास पूना आयी थी। बेटा,बहू और बेटी सब एकसाथ रहते थे। बेटी,बहू दोनों एक ही कम्पनी में इंजीनियर थी और बेटा अलग कम्पनी में। बेटा बहुत कम बोलता था,हर समय अपने काम में लगा रहता। उसे न घूमने का शौक था,न ही खरीददारी का,जबकि बहू और बेटी दोनों इसके विपरीत। दोनों में बहुत अधिक प्रेम था,साथ घूमना,खरीदारी करना,रसोई में गप्पे मारते हुए काम करना। उन्हें देखकर शालू बहुत खुश थी। पिछले चार सालों में एकसाथ रहते हुए कभी भी उनमें कहा-सुनी नहीं हुई। विभा अपने भाई से पांच साल छोटी थी,दीपा उससे तीन साल बड़ी थी। वह भाभी को दिब्बी कह कहकर बुलाती और वह उसे विभु। भाभी के बेटी हुई तो सुबह भाभी को अस्पताल से घर आना था,विभा सारी रात दीपा का कमरा और घर सजाने में लगी रही। अपने हाथों से इतनी सुन्दर सज्जा की कि,सब देखकर दंग रह गएl दीपा भी गदगद थी। शालू तो फूली नहीं समा रही थी ननद-भाभी के इस बदलते रिश्ते को देखकर। उसे अपना जमाना याद आ रहा था, कितना डरती थी वह अपनी ननद और सास से। ननद उसकी सास को उसके खिलाफ भड़काती रहती थी। दोनों मिलकर उसे कितनी मानसिक प्रताड़ना देती थी। उसी समय विभा आकर उसकी गोद में सिर रखकर लेट गयी और बोली-“मम्मी! एक बात बोलूं।”
“हाँ बेटा,बोलो।”
“जब मैं शादी के बाद ससुराल जाउंगी,मुझे आपसे ज्यादा दीपा की याद आएगी। मैं उसके बिना कैसे रह पाउंगी।”
“बेटा,जब मन होगा तुम आ जाना,या उसे बुला लेना। मैं बहुत खुश हूँ तुम्हारे परस्पर प्रेम को देखकर। काश! हर ननद-भाभी का रिश्ता ऐसा ही हो जाए।”

परिचय-डॉ.साधना तोमर का साहित्यिक नाम-साधना है। २९ दिसम्बर १९६७ क़ो पन्तनगर (नैनीताल) में जन्मीं साधना तोमर वर्तमान में उत्तर प्रदेश स्थित बड़ौत (बागपत) में स्थाई रूप से बसी हुई हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली डॉ.तोमर ने एम.ए.(हिन्दी), एम.एड.,नेट,पी-एच.डी. सहित डी.लिट्.की शिक्षा हासिल की हुई है। आपका कार्यक्षेत्र-बागपत स्थित महाविद्यालय में सह प्राध्यापक (हिन्दी विभाग)का है। सामाजिक गतिविधि में आप राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी होकर विविध साहित्यिक मंचों से जुड़ी हुई हैं।लेखन विधा-गीत,कविता,दोहा,लेख और लघुकथा आदि है। प्रकाशन में ३ पुस्तकें(एक सन्दर्भ पुस्तक-कवि शान्ति स्वरूप कुसुम:व्यक्तित्व एवं कृतित्व,जीवन है गीत-गीत संग्रह और साधना सतसई-दोहा संग्रह) सहित २९ शोध- पत्र आपके खाते में हैं। प्राप्त सम्मान- पुरस्कार में काव्य रचनाओं पर ३१ राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान,पुरस्कार तथा उपाधि प्राप्त हैं। लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का प्रयास तथा मानवीय मूल्यों की स्थापना के साथ ही आध्यात्मिक चेतना का विकास करना है। पसन्दीदा हिन्दी लेखक-छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद और प्रेरणापुंज-गुरु डॉ.सुभाषचंद्र कालरा हैं। आपकी रचनाएँ विभिन्न समाचार-पत्रों और संग्रह में छपी हैं। जीवन लक्ष्य-अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवीय मूल्यों का विकास करना है। देश के प्रति विचार-
“राष्ट्र-धर्म अब यही है कहता, 
दुश्मन को दिखला दें हम। 
अलग नहीं हम एक सभी है, 
सबक उसे सिखला दें हम।

हिन्दी हिन्द की आत्मा,
इस बिनु नहीं विकास। 
अस्मिता यह राष्ट्र की, 
जन-जन का विश्वास॥”

Leave a Reply