प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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सोचे जनता देख कर,ये कैसा बदलाव।
महँगाई है बढ़ रही,बढ़ता सबका भाव॥
बढ़ता सबका,भाव देख कर,जनता रोते।
नहीं चैन अब,मिले किसी को,रात न सोते॥
बच्चे भूखे,बैठे रहते,खुद को नोचे।
देख देश की,हालत जनता,कुछ तो सोचे॥
हालत बिगडे़ देश की,आया जब बदलाव।
कोरोना के काल में,फँसे सभी की नाव॥
फँसे सभी की,नाव साथ में,है बीमारी।
मरते जाते,बूढ़े-बच्चे,संकट भारी॥
घर-घर सबके,घटना घटती,पड़ती लालत।
नहीं चैन भी,मिले किसी को,बिगड़े हालत॥