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बीज वो अमन के बो गए…

दीपा गुप्ता ‘दीप’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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(तर्ज-उनसे मिलकर देखिए कितने मुक़म्मल हो गए। रचना शिल्प:२१२२ २१२२ २१२२ २१२)
वीर धरती पर निछावर देश के लो हो गए।
प्राण पण से वो लड़े अहले वतन हम रो गए।

आँख नम हैं हम सभी की देख कर कुर्बानियां,
देश की खातिर दीवाने नींद मीठी सो गए।

नाम है उनका अमर जब तक रहेगा ये जहां,
बीज वो फिर से अमन के इस जहां में बो गए।

सुर्ख रूह वो जब हुए रोया गगन भी किस क़दर,
अश्क की बारिश हुई और पाप सारे धो गए।

दे रहा उनकी मिसालें देश अपना फख्ऱ से,
स्वर्ण अक्षरों में अंकित उनके कसीदे हो गए॥

परिचय-दीपा गुप्ता का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। साहित्यिक उपनाम-दीप है। इनकी जन्म तारीख २२ जुलाई १९६६ एवं जन्म स्थान-बरेली है। भाषा ज्ञान-हिंदी एवं अंग्रेजी का है। उत्तर प्रदेश से नाता रखने वाली दीप ने स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत सेवाभावी संस्था की अध्यक्ष रह चुकी हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल, लेख आदि है। प्रकाशन में ३ एकल संग्रह-बालदीप (भाग-१,२ एवं ३) आ चुके हैं तो ३ साझा संग्रह-‘रिश्तों के अंकुर’, ‘पितृ विशेषांक’ और ‘काव्य पुंज’ भी प्रकाशित है। ३ साझा संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित हो रहे हैं। ऐसे ही अनेक रचनाएं समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको प्राप्त सम्मान में-साहित्य सागर,मुक्तक लोक, ‘हिंदी सेवी’ सम्मान, ‘शब्द श्री’ सम्मान, ‘साहित्य भूषण’ सहित ‘श्रेष्ठ रचनाकार’ सम्मान प्रमुख हैं। विशेष उपलब्धि में केन्द्रीय मंत्री द्वारा संग्रह को शुभकामना संदेश देना है। लेखनी का उद्देश्य-भारत के भविष्य को गढ़ने में योगदान देना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-बाबा हैं। इनकी विशेषज्ञता-बाल गीत लेखन में है।

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