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बेशर्म राजनीति

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बेशर्म हुई राजनीति, नेता भी बेशर्म,
लालच में नहीं समझते जनता का मर्म।

बदसूरत हो गई राजनीति, कोई नहीं सुनता,
इनको सिर्फ सत्ता से मतलब, भाड़ में जाए जनता।

लड़ाते हैं ये सबको, अलग-अलग मुद्दों पर,
दशकों से ठग रहे, जनता रही मर।

जातियों में लड़ाना इनका प्रिय काम,
चाहिए इनको राजनीतिक गलियारों में बस नाम।

रिश्ते बिगाड़ रहे नेता, बाँट दिया सबको,
फीका कर दिया इन्होंने, तिरंगे से हमको।

राजनीति से देश जल रहा, सेवा हुई लापता,
जनता की फिक्र नहीं, बस अपना पेट भर रहे नेता॥