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भटकते युवा सोचो बारम्बार

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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ना करो तुम इतना प्यार
कष्ट मिलेगा बारम्बार,
झूठ-फरेब का सपना आएगा-
हो जाओगे बर्बाद।

लक्ष्य तुम्हारा मिट जाएगा
दुःख-संकट से घिर जाओगे,
इस जहाँ में छुप-छुप कर-
मिटने के लिए तुम,तुल जाओगे।

ये दुनिया एक चोला है
जो समझ गया ना डोला है,
अजर-अमर हो जाता है-
देश को रौशन कर जाता है।

ऐसी उम्र का रखो ख्याल
कुछ करने से पहले,
सोचो बारम्बार
खुद आएगा अच्छा विचार।

ना डरो मेरे देश के लाल
कुछ नया करो ओ मेरे यारl
ना करो तुम इतना प्यार
कष्ट मिलेगा बारम्बारll

परिचय-विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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