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भारत रत्न सितारवादक पण्डित रविशंकर चौधरी की यादें

राजेश पुरोहित
झालावाड़(राजस्थान)
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७ अप्रैल जन्मदिन विशेष……


देश के प्रसिद्ध सितारवादक एवं संगीतज्ञ पण्डित रविशंकर चौधरी का जन्म ७ अप्रैल १९२० को बनारस,ब्रिटिश भारत में हुआ था। पश्चिमी बंगाल के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में इनका जन्म हुआ था। ये एक प्रख्यात वकील के बेटे थे,और दस साल की उम्र में पेरिस चले गए थे। उन्होंने विश्व के कई संगीत उत्सवों में भाग लिया है। उनके युवा वर्ष यूरोप व भारत में अपने भाई उदयशंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करते हुए बीते। रविशंकर ने भारतीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अल्लाउदीन खाँ से प्राप्त की।
रविशंकर ने १९३८ से १९४४ तक सितार का अध्ययन किया,और फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे। बाद में उनका विवाह अन्नपूर्णा से हुआ। वह उस्ताद अल्लाउद्दीन ख़ाँ की बेटी थी।
रविशंकर ने सत्यजीत रे की फिल्मों
सहित अन्य में भी संगीत दिया। १९४९ से
१९५६ तक उन्होंने आल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया।१९६० के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरू किए। जॉर्ज हेरिशन के साथ भी काम किया। उनकी बेटी भी सितार बजाती है। उनका नाम संगीत की दुनिया में चमकता है। दूसरी बेटी गायिका है। अनुष्का शंकर सितार वादक व नोराह जोन्स शीर्षस्थ गायिका में शामिल है। १९९९ में पंडित रविशंकर जी को भारत रत्न दिया गया।
इन्हें कला के क्षेत्र में भारत सरकार ने पद्म भूषण से भी समान्नित किया। इन्हें तीन बार ग्रेमी अवार्ड से नवाजा गया है।
भारतीय संगीत व पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंडित रविशंकर ने भारत,कनाडा,यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में फिल्मों और नृत्य नाटक के संगीत से जुड़े कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्हें फ़िल्म ‘गांधी’ में संगीत के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था। उन्होंने फिलिप ग्लास पैसजेज और ओरियन के लिए भी संगीत दिया।
पंडित जी को चौदह डॉक्टरेट और डिसिकोट्स सहित विश्वभर से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार,पद्म विभूषण,दो ग्रेमी अवार्ड,जापान से ग्राण्ड फुकुओका पुरस्कार ओर ग्लोबल एम्बेसेडर के शीर्षक के साथ दाओस से क्रिस्टल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वे अमेफिकि संगीतकारों के अंतर्राष्ट्रीय मंच के भी सदस्य थे। भारत के यह संगीत राजदूत संयुक्त राष्ट्र अकादमी ऑफ आर्ट्स एन्ड लेटर्स के एक सम्मानित सदस्य थे।
पश्चिम में भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय सितार वादक पंडित रवि शंकर को जाता है। उनके शास्त्रीय संगीत और कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनकी सहभागिता के कारण उनको पूरी दुनिया में खूब प्रशंसा मिली है।

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