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भ्रमित पाक को बदलनी होगी आतंकवाद के प्रति अपनी सोच

शिवम द्विवेदी ‘शिवाय’ 
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘आतंकवाद’ का नाम लेते ही सीरिया तथा इराक के भयानक और दिल दहला देने वाले दृश्य सामने आ जाते हैं। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर अमेरिका और मुंबई ताज़ होटल की हृदयविदारक झलक दिखाई पड़ती है, पेशावर के सैनिक स्कूल में निर्दोष बच्चों की मौत का जिम्मेदार पाकिस्तान खुद अपने किए पर नहीं रोया, जबकि इस घटना से पूरी दुनिया दु:खी हुई। पाकिस्तान पूरी दुनिया में फैले आतंकवाद का समर्थन करता है, और उसे तवज्जो देता है, जबकि दुनिया आतंकवाद से त्रस्त्र है। पाकिस्तान आज के दौर में भ्रमित हो गया है कि वो आतंकवाद का विरोध कर खुद के लिए मुसीबत खड़ी करे,या उसका समर्थन कर पूरी दुनिया से दुश्मनी ले…।
पाकिस्तान रिश्ते में भारत का भाई है,लेकिन वो हरकतें दुश्मन जैसी करता है। भारत ही नहीं,पूरी मानवता के लिए हानिकारक आतंकियों को संरक्षण, सम्पूर्ण सहायता,अस्त्र-शस्त्र,धन आदि उपलब्ध कराना पाकिस्तान अपना फर्ज़ समझता है,लेकिन वो यह भूल जता है कि आतंकियों का कोई मज़हब नहीं होता है, कोई देश नहीं होता,कोई अपना नहीं होता,कोई धर्म नहीं होता,वो हर किसी को निशाना बना सकते हैं।
कुछ आतंकी संगठन-इस्लामिक स्टेट आफ सीरिया एंड ईराक,अल-जौहरा,जमात उत दावा,अलकायदा ,लश्कर-ए-तैयबा हिजबुल मुजाहिद्दीन,जैश-ए-मोहम्मद ( ‘खुद्दाम उल-इस्लाम’) आदि ये विश्व समुदाय द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन हैं,जो विश्वव्यापी आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं,और पाकिस्तान इन आतंकियों के आकाओं को पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। और तो और उन्हें समाजसेवी का दर्जा तक दे देता है। पाकिस्तान ने मसूद अज़हर,हाफ़िज़ सईद,दाऊद इब्राहिम ,सैयद सलाहुद्दीन यूसुफ शाह (सईद सलाहुद्दीन),जकी-उर-रहमान-लखवी आदि आतंकियों को अपने यहाँ खुली छूट दे रखी है,जिससे ये ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकी पाक से पूरी दुनिया में मानवता का विनाश करने मे सक्रिय हैं। कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी को भारतीय फौज द्वारा मार गिराने पर पाक सरकार इतनी दु:खी हुई कि उसे कश्मीर का युवा नेता करार दिया ।
ओसामा-बिन-लादेन,जो एक खूंखार आतंकी है और जिसने अमेरिका स्थित विश्व व्यापार केन्द्र पर हमला कराया था,जिसने लश्कर-ए तैयबा की स्थापना की जिसने भारत पर कई आतंकी हमले कराये,जिसने आज के ‘बगदादी’ जैसे आतंकियों को तैयार किया,पाक से उसे भी मदद मिली। आतंकी आखिर इतनी बड़ी मात्रा में धन और हथियार सामग्रियाँ कहां से पाते हैं या कहां से लाते हैं…? इन जैसे हत्यारों को राजनीतिक समर्थन भी प्राप्त होता है,पुलिस में भी इनके गुर्गे होते हैं,जो पुलिस की हर गतिविधि की जानकारी इन्हें पहुंचाते हैं।
आतंकी किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए युवाओं को गुमराह कर उन्हे शस्त्र-अस्त्र चलाने का प्रशिक्षण देते हैं। ये अत्यंत घातक हथियारों का उपयोग करते हैं। इन आतंकियों का मंसूबा क्या होता है,आतंकियों की हरकत से अनुमान लगाया जाता है। आतंकियों को भी सत्ता हासिल करने की आरज़ू है,जो ये जनसाधारण को डरा-धमका कर निरंकुश-तानाशाह की भांति शासन करना चाहते हैं। आतंकियों का सिर्फ एक उद्देश्य होता है ‘मारो और मारो।’ आतंकवादियों का कोई अपना नहीं होता,ये हर किसी को अपना शिकार बनाते हैं। इसकी वजह है उन आतंकियों द्वारा इनका मन बदलना। कुछ पैसों के लिए ये सब कर बैठते हैं। ‘मानव बम’ की कीमत महज १,००००० रूपये होती है। गरीब जो खाने के बगैर मर रह था,वो एक लाख के लिए मारना ज्यादा बेहतर समझता है। इसी बात का फायदा आतंकी उठाकर अपने मंसूबे कामयाब कर लेते हैं,लेकिन ईमानदार फौज के आगे इन घटिया और घिनौनी सोच के आतंकियों की कोई भी चाल कामयाब नहीं हो सकती है। भारत देश की शांतिप्रियता,क्षमा भावना,दया और गलतियों को भुला देने की महान परम्परा को ठेस पहुंचाने की आतंकी सोच भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी,लेकिन अगर बार-बार इस तरह की हरकत हुई और भारत का धैर्य टूटा तो निश्चित ही इसके परिणाम भयानक होंगे। आतंकी और आतंक तो फलने-फूलने का पूरा मौका देने वालों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। निश्चित ही आतंकवाद से आज पूरा जगत जूझ रहा है,सीरिया, ईराक तो बर्बाद से हो गए हैं। पाकिस्तान,जो इन आतंकियों को हर प्रकार का सहारा दे देता है,वो भी इन जाहिलों की घटिया हरकतों से ग्रस्त है,कभी पेशावर के स्कूल में निर्मम हत्याकांड होता है तो कभी सूफी मस्जिद की भीड़ में बम विस्फोट और इनके अलावा छुट-पुट घटनाएँ भी होती रहती हैं। अमेरिका, फ्रांस,आस्ट्रेलिया जैसे देशों में आतंकी घटनाएँ भी अब आम बात हो गई हैं। इसी बात से ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आतंकियों के विचार क्या हैं ? भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान ही पूरी दुनिया में आतंकवाद फैला रहा है,इस प्रभाव से भला भारत दूर कैसे रह सकता है। पाकिस्तान की तरफ से भारत में ६३ बार बड़े आतंकी हमले हुए,जिनमें से कुछ खास और वाकई बड़े हैं। १९८४ में मीनाम्बकम तमिलनाडु में,जिसमें ३० लोग मारे गए थे और २५ से ज्यादा घायल हुए थे। १९९३ में मुंबई में,जिसमे ३५० लोग मारे गए और ७०० से भी ज्यादा लोग घायल हुए। रफीगंज (बिहार) में २००२ में हुए आतंकी हमले में १३० लोग मारे गए थे और ३०० घायल हुए। ऎसे २००६ में मुंबई में फिर बम बिस्फोट हुआ,जिसमें २०९ लोग मारे गए और ५०० से ज्यादा घायल हुए थे।
मीनाम्बकम (तमिलनाडु) में हमला पहला आतंकी हमला था। प्राप्त जानकारी के अनुसार-९ बार मुंबई,१० बार जम्मू-कश्मीर,७ बार दिल्ली,४ बार पंजाब और ३-३ बार असम,बिहार और तमिलनाडु में बड़े आतंकी हमले हुए हैं। इतना सब-कुछ होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने इन आतंकियों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया,जबकि भारत ने हर दफा पुख्ता सबूत दिये,लेकिन अब अमेरिकी नेतृत्व में गठबंधन सेना ने सीरिया में सक्रिय इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को निशाना बनाकर हमले कर रही है,तो इधर भारत ने भी पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को तहस-नहस कर कई आतंकियों को मार गिराया। अब आतंक के खिलाफ पूरी दुनिया को एकसाथ खड़ा होना होगा,आतंकियों पर हर प्रकार का प्रतिबंध लगा कर उन्हें पकड़ना होगा। आतंकियों को जेल में रखने की बजाय उन्हें मौके पर ही गोली मार देना भी आतंक के खिलाफ प्रभावी कदम होगा। पाकिस्तान को भी आतंकवाद के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी,हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष मारिया फर्नान्डा एस्पिनोसा ने आतकंवाद के खिलाफ भारत की नीति और संघर्ष की तारीफ करते हुए आतंक के खिलाफ दुनिया से लड़ने का आग्रह किया,ताकि विश्व युद्ध की जगह विश्व शांति कायम हो और हमेशा शांति ही रहे।

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