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महाशिवरात्रि

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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शिवरात्रि की है रात्रि,
रात्रि में महारात्रि है।
है शिव विवाह की आई रात्रि,
शिव जी बने हैं दूल्हा,बारात आ रही है।
शिव जी बने हैं दूल्हा,
वो देखो मेरे भोले बाबा की बारात आ रही है।
भूत और प्रेतों की जमात आ रही है,
कोई है कई मुख का और कोई मुखविहीन है…
बारात आ रही हैl
ब्रम्हा और विष्णु संग में हैं देव सारे,
बारात आ रही हैl
नाचे हैं देव-दानव,दुन्दुभि सुना रही है,
बारात आ रही हैl
जैसे बने हैं दूल्हा,वैसी बनी बारात,
बारात आ रही हैl
देव-दानव हुए संग में श्रीहरि मुस्कुराए,
बारात आ रही हैl
हे नंदी की सवारी जो में गंगाधारी,
भूतनाथ आ रहे हैं…
बारात आ रही हैl
बच्चे तो डर के भागे,बड़ों ने धैर्य धरा,
बारात आ रही हैl
शिव जी बने हैं दूल्हा,
बारात आ रही हैl
मैना जी डर के भागी,आरती उतारे,
बारात आ गयी हैl
नारद ने दीन्ही शिक्षा,है उमा उन्हीं की दुल्हन,
बारात आ गयी है।
गुण रूप की है राशि,सदा से उनकी दासी,
बारात आ गयी हैl
आई पाणिग्रहण की बेला,लगा है देखो मेला,
बारात आ गयी हैl
गणपति की प्रथम पूजा,ब्रम्हा ने मंत्र गाये,
बारात आ गयी है।
सुन्दर स्वाद भोजन गीतों के संग कराये,
बारात आ गयी हैl
हर्ष और दुःख बेला है संग में आई,
बारात जा रही हैl
हिमाचल ने दीन्हा दाइज,
मैना की आँखों में है आँसू…
अब बारात जा रही हैll

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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