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मांग रही बेटी स्नेह

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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पावन सदा दीप-सी बाती,प्रेम की सरस झरती मेह,
आँगन की चिड़िया है बेटी,वो उड़ जाती पराय गेह।
नियम-कायदे में हम सारे,रिवाज़ रोक नहीं सकते-
होता मन मायके देहरी,चलती वह ससुराल सदेह॥

कन्या पूजन इस भू होती,इसमें नहीं कोई संदेह,
बेटी दिवस की जरूरत को,सोच-समझ ना करें कलह।
कई सौ वर्षों आक्रांताओं,लड़ते पुरुष संख्या हुए क्षीण-
स्त्री लूट ले जाते लुटेरे,कठिन समस्या कन्या देह॥

धीरे-धीरे कन्या दूध पिला,बिगड़े संख्या संतुलन लेह,
मैं यह नहीं सही ठहराती,सती या भ्रूण हत्या ध्येह।
बेटा को जनने को भी तो,बेटी ही चाहिए न समाज-
आज विचार परिवेश बदले,दो मांग रही बेटी स्नेह॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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