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मेरे भीतर मेरा क्या है

श्रीकृष्ण शुक्ल
मुरादाबाद(उत्तरप्रदेश) 
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तन भी नश्वर मन भी नश्वर,
जरा सोच फिर,तेरा क्या है
नहीं आज तक जान सका मैं,
मेरे भीतर मेरा क्या है।

ह्रदय सतत् स्पंदन करता,
हर पल हर क्षण चलता रहता
साँसों के ताने-बाने को,
क्या है साँझ,सवेरा क्या है।

मन करता है सब कुछ पा लूँ
सपनों को जीवंत सजा लूँ,
इस स्वच्छंद विचरते मन को,
बाधाओं का घेरा क्या है।

मन का क्या है,उड़ता जाए,
सुबह-शाम सपने दिखलाए
मन के भीतर इच्छाओं का,
प्रतिपल बसा बसेरा क्या है।

धन दौलत चाहत शोहरत सब
साथ किसी के जा न सका है,
कृष्ण किसी,फक्कड़ कबीर को
जनम-मरण का फेरा क्या है॥

परिचय-श्रीकृष्ण शुक्ल का साहित्यिक उपनाम `कृष्ण` हैl इनका जन्म तारीख ३० अगस्त १९५३ तथा जन्म स्थान-मुरादाबाद हैl वर्तमान में मुरादाबाद में बसे हुए श्री शुक्ल का स्थाई घर भी मुरादाबाद ही हैl उत्तर प्रदेश वासी श्री शुक्ल ने परास्नातक(अर्थशास्त्र)और तथा सीएआईआईबी की पढ़ाई की हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक में नौकरी (सेवानिवृत्त अधिकारी)का रहा हैl सामाजिक गतिविधि के निमित्त आप सहजयोग आध्यात्मिक संस्था के माध्यम से ध्यान एवं तनावमुक्त जीवन यापन हेतु प्रचार-प्रसार में सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा देखी जाए तो-गीत, ग़ज़ल,मुक्तक,दोहे,छंदमुक्त तथा सामयिक विषयों पर लेखन जारी हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी एवं अँग्रेजी का रखते हैंl प्रकाशन के तहत साझा संग्रह-छाँव की बयार,उजास एवं काव्यधारा आपके खाते में है तो रचनाओं का प्रकाशन कई दैनिक और अन्य पत्र-पत्रिका में समय-समय पर होता रहता हैl इनको प्राप्त सम्मान में मुरादाबाद से काव्य प्रतिभा सम्मान ,रामपुर से काव्यरथी व काव्यधारा पीयूष सम्मान सहित ज्ञान मंदिर पुस्तकालय द्वारा वर्ष २०१८ का साहित्यकार सम्मान ख़ास हैl यह ब्लॉग पर भी अपने विचार रखते हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज को जागृत करना हैl आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रो.राजेश चंद्र शुक्ल हैंl रुचि-आध्यात्मिक चिंतन,ध्यान,लेखन तथा पुस्तकें पढ़ना हैl

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