कुल पृष्ठ दर्शन : 334

You are currently viewing मैं हिन्दी हूँ

मैं हिन्दी हूँ

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
******************************

हिन्दी की बिन्दी…

मैं हिन्दी हूँ, जानी पहचानी,
नाम पड़ा, जब आए ईरानी
याद करो, वो सिंधु सभ्यता,
हिन्द से बने, हम हिन्दुस्तानी।

लिपि हमारी, देवनागरी पुरानी,
मैं हिन्दी हूँ, भाषाओं की रानी
संस्कृत लगे है, मेरी बहना,
उर्दू और फारसी मेरा गहना।

स्वर और व्यंजन मेरा खजाना,
छंद-अलंकार से इसे सजाना
पढ़ना-लिखना मान बढ़ाना,
प्यार भरे खत इससे सजाना।

जग में मेरा, तू नाम बढ़ाना,
मैं हिन्दी हूँ तेरी मातृभाषा
सारे कार्य मुझे ही सौंपना,
बन जाऊं जन-जन की भाषा।

मेरा मान करेगा अगर तू,
तो तेरा भी सम्मान बढ़ेगा
तू अगर प्रण, कर ले तो,
कोई नहीं अपमान करेगा।

राष्ट्र-गान मुझसे ही सुशोभित,
मैं हूँ वेद-पुराण की भाषा।
जन-जन से मुझे प्यार मिले,
यही मेरी प्रबल अभिलाषा॥

Leave a Reply