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मोटे हो गये

डॉ.जियाउर रहमान जाफरी
नालंदा (बिहार)
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खाये इतना सुबह से शाम,
मोटे हो गये पतलूराम।
नहीं ज़रा-सा अब चल पाते,
बैठे-बैठे बस सो जाते।
जहां कभी भी वो घर से निकले,
पूरा जिस्म कमर से निकले।
फिर भी कम कुछ हुआ न खाना,
हर शादी में लाज़िम जाना।
माँ जब कहती कम कुछ खाओ,
दौड़ो कूदो वजन घटाओ।
कहकर मोटू अच्छा कल से,
खा लेता है फिर भी छल से।
और कभी वो कल न आता,
मोटू और ज़्यादा खाता॥

परिचय-आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू सहित मैथिली भाषा के कई पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी है। डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए.(हिन्दी) और बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) है।आपकी प्रकाशित कृति मेंं ‘खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल)’,और ‘खुशबू छूकर आई है’तथा  ‘चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता)’  आदि हैं। आप आपदा विभाग और राजभाषा विभाग(बिहार) पुरुस्कृत हैं।डॉ.जाफरी का निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में है। आप बतौर सम्प्रति बिहार सरकार में अध्यापन में सक्रिय हैं। 

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