जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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सभी बचपन की वो बातें सुहानी याद हैं मुझको।
सुने दादी से किस्से खानदानी याद हैं मुझको।
मेरी नानी भी मुझको हद से ज्यादा करती थी ,
सुनीं राजा फकीरों की कहानी याद हैं मुझको।
हमारे गाँव में कोठी सिंचाई महकमे की थी,
दुपहरी भर वहां की छेड़खानी याद हैं मुझको।
मसाला नौन मिर्ची का बनाकर साथ रखता था,
वो कच्ची आमियां छुपकर चुरानी याद हैं मुझको।
तमाशे और नौटंकी अभी भूला नहीं हूँ मैं,
बड़ों की इस वज़ह से मार खानी याद हैं मुझको।
अभी रोशन हैं चाहत के झरोखे इस बुढ़ापे में ,
वो चिठ्ठी प्यार की लिखनी छुपानी याद हैं मुझको।
कबड्डी और कुश्ती का जमाना क्या जमाना था,
सुनो ‘हलधर’ सभी बातें पुरानी याद हैं मुझको॥