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रिश्ता पति-पत्नी का

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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विवाह दो आत्माओं का है, अमर प्रेम का है बन्धन,
इस पवित्र बन्धन में खुद बंधे हैं, श्रीराम रघुनन्दन।

जग में पति-पत्नी का बहुत प्यारा है, यह मधुर रिश्ता,
दो शरीर है-आत्मा एक, इसी को कहते हैं पवित्र रिश्ता।

एक-दूजे के बिना दोनों ही अधूरा-सा महसूस करते हैं,
सन्मुख होते ही आपस में, दोनों खुश हुआ करते हैं।

भगवान खुद धरती में प्रकट हो के अपना ब्याह रचाए,
एक-दूजे के लिए मरना-मिटना, भगवान ही तो स
सिखाए।

पतिव्रत धर्म पालन करना माता सीता ने सबको है सिखाया,
देवलोक से लेकर धरा तक, कुछ माताएं हैं जिन्होंने निभाया।

जैसे प्राण बिना माटी की काया, नहीं है किसी भी काम की,
एक-दूजे से जुदा होकर आत्मा, रह जाती है सिर्फ नाम की।

श्री गुरु कहते हैं प्रेम और विवाह की अलग-अलग है राह,
विवाह पवित्र रिश्ता होता है, प्रेम-जहाॅ॑ मन भाए वहीं राह।

पति भला तो नारी क़ा मंगलसूत्र, नहीं तो फाँसी का फन्दा,
सिखाती है सखी देवन्ती, विवाह किया तो निभाए हर बंदा।

भरे समाज में पहनाया मंगलसूत्र, सदा साथ निभा देना,
जब दुनिया से जाऊँगी पिया, कांधा तुम लगा लेना।

प्यारा है ‘रिश्ता पति-पत्नी का’, कोई भूल नहीं जाना,
अंतर्मन से जब याद करे तो, जहाँ भी रहो तुम चले आना॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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