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संस्कार और मूल्यों पर ध्यान देना आवश्यक

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’
मुंबई (महाराष्ट्र)
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संस्कारों से संस्कृत व्यक्ति देवताओं और ऋषियों के समान पूज्य हो जाते हैं। हमारी प्राचीनतम भारतीय संस्कृति विश्व की संस्कृतियों का मूलाधार है।संस्कृति सहिष्णुता,समन्वय की भावना,गौरवशाली इतिहास,संस्कार,रीति-रिवाज और उच्च आदर्श लिए अमूर्त रूप में व्यक्ति के आचरण से झलकते हैं।
हम जिस देश,समाज और परिवार में जन्म लेते हैं,उसी के अनुरूप हमारे जीवन में संस्कारों का बीजारोपण होता है। परिवार में मर्यादा का पाठ लड़का हो या लड़की दोनों को निष्पक्ष रूप से पढ़ाना आवश्यक है। परिवार में माता-पिता संतान के संस्कारों को पोषित करते हैं। संस्कृति और संस्कार भरे नैतिक मूल्यों व आदर्शों को बनाए रखने से किसी भी परिवार,समाज और देश की उन्नति होती है।
व्यक्तित्व निर्माण में संस्कार ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संस्कार आदेश,निर्देश या पठन-पाठन से नहीं,बल्कि बड़े-बुज़ुर्गों के स्वभाव,रहन-सहन और उनके आचार-व्यवहार का अनुसरण करने से आता है। जिन घरों में बड़े-बुज़ुर्गों की इज़्ज़त की जाती है,उन घरों में अनजाने में बच्चे संस्कारों से परिपूर्ण होते रहते हैं।
आजकल आधुनिकता की दौड़ में सामूहिक परिवार की जगह एकल परिवार का चलन बढ़ता जा रहा है। माता-पिता दोनों के नौकरीपेशा होने के कारण अधिकतर बच्चे नौकरों या बेबी सिटिंग के भरोसे पल रहे हैं। दादा-दादी या नाना-नानी से जो मूल्य वे सहज ही सीखकर बड़े होते थे,उन मूल्यों का अभाव हमारे समाज को खोखला करता जा रहा है। आधुनिकता और भौतिकता को छोड़कर यदि हम संस्कार और मूल्यों पर ध्यान देंगे,तभी एक स्वस्थ और सुखी समाज का निर्माण संभव हो पाएगा। हम सभी को इस विषय में सोचने और उसी अनुसार कार्य करने की ओर साहसिक क़दम बढ़ाने की आवश्यकता है।

परिचय-डॉ. आशा वीरेंद्र कुमार मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘आस’ है। १९६२ में २७ फरवरी को वाराणसी में जन्म हुआ है। वर्तमान में आपका स्थाई निवास मुम्बई (महाराष्ट्र)में है। हिंदी,मराठी, अंग्रेज़ी भाषा की जानकार डॉ. मिश्रा ने एम.ए., एम.एड. सहित पीएच.-डी.(शिक्षा)की शिक्षा हासिल की है। आप सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत बालिका, महिला शिक्षण,स्वास्थ्य शिविर के आयोजन में सक्रियता से कार्यरत हैं। इनकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,कविता एवं लेख है। कई समाचार पत्र में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। सम्मान-पुरस्कार में आपके खाते में राष्ट्रपति पुरस्कार(२०१२),महापौर पुरस्कार(२००५-बृहन्मुम्बई महानगर पालिका) सहित शिक्षण क्षेत्र में निबंध,वक्तृत्व, गायन,वाद-विवाद आदि अनेक क्षेत्रों में विभिन्न पुरस्कार दर्ज हैं। ‘आस’ की विशेष उपलब्धि-पाठ्य पुस्तक मंडल बालभारती (पुणे) महाराष्ट्र में अभ्यास क्रम सदस्य होना है। लेखनी का उद्देश्य-अपने विचारों से लोगों को अवगत कराना,वर्तमान विषयों की जानकारी देना,कल्पना शक्ति का विकास करना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद जी हैं।
प्रेरणापुंज-स्वप्रेरित हैं,तो विशेषज्ञता-शोध कार्य की है। डॉ. मिश्रा का जीवन लक्ष्य-लोगों को सही कार्य करने के लिए प्रेरित करना,महिला शिक्षण पर विशेष बल,ज्ञानवर्धक जानकारियों का प्रसार व जिज्ञासु प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा सहज,सरल व अपनत्व से भरी हुई भाषा है।’

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