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सबको पालती है धरा

विनोद वर्मा आज़ाद
देपालपुर (मध्य प्रदेश) 

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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………


जो लोग देश की धरा को माता समझे,
ऐसे चिंतक,भारत में पाए जाते हैं।
जब-जब वसुंधरा का अर्चन आवश्यक,
तो फूल नहीं,तब प्राण चढ़ाए जाते हैंll

‘धरा’ को विभिन्न उपनाम दिए गए हैं,जैसे-पृथ्वी, मेदिनी,वसुंधरा,भूमि,और धरती आदि। धरा के विषय में अलग-अलग लिखा जा सकता है। उसको क्रांति के रूप में भी अग्रणी रखा जाता है। साहित्य में भी धरा का बहुत मान होता है तो संस्कृति में भी धरा का बहुमान किया गया है। हम कभी धरती को आकाश-पाताल संग रखते हैं तो कभी धरती माँ का चंद्रमा से सम्बन्ध जोड़कर चंदा मामा कहना शुरू कर देते हैं और सूर्य को नाना। पहले शुरुआत करता हूँ माँ से-माता अपने बच्चों के सुख-दुःख को अपने में समेटने का प्रयास करती है। बच्चा रोता है तो माँ दूध पिलाती है, थपकी देती है,लोरी सुनाकर चुप करने का प्रयास करती है। पोतड़ा गीला करने पर उसे दूसरा बांधती है,खुद गीले में सोकर बच्चे को सूखा स्थान देती है। रात-रात भर जागकर बच्चे को सुलाने का प्रयास करती है। मल-मूत्र साफ करना,नहलाना,मालिश करना,पावडर लगाना, बच्चे को नज़र से बचाने के लिए कपाल पर चाँद बनाना,कान के पीछे और सीने पर काजल का टीका लगाना,कपड़े पहनाकर उसकी बलैया लेना,रोज नज़र उतारना राई,नमक,मिर्च, भिलामा आदि-आदि से। छोटे से लेकर किशोर वय होने तक ही नहीं,युवावस्था प्राप्ति,नौकरी, व्यवसाय के बाद भी बहू,पोता-पोती की लालसा पालते हुए अपना जीवन चक्र चलाती है।
ठीक वैसे ही,धरा जीव-जंतुओं,पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों का पालन-पोषण करने के लिए
विभिन्न रूपों में खाद्य प्रदान करती है। यानी प्रत्येक सजीव का जीवन चक्र चलाने हेतु अपने तईं प्रयास धरा करती है।
धरा को हम विज्ञान के रूप में देखें तो यह चिकित्सा विज्ञान का ज्वलन्त उदाहरण हो सकती है। किडनी एक छनन अंग है शरीर का,जहां हर एक पदार्थ को अपने में समाहित कर छानती है। सारे अपशिष्ट किडनी से होकर गुजरते हैंl उन अपशिष्टों को अलग-अलग तरीके से छानकर अलग-अलग अंगों में प्रवाह के लिए यह छोड़ती है,और अपशिष्ट को मल-मूत्र के रूप में शरीर से बाहर कर देती है। यानि हम कह सकते हैं किडनी समस्त अंगों की माँ है,जो पूरे शरीर का ध्यान रखती हैl ठीक वैसे ही धरा पर समस्त जीव मल-मूत्र त्याग करते हैं,पेड़-पौधे लगते हैं। झूठन,सड़ा खाना आदि भी धरा पर ही डालते हैं,कभी ऊपर तो कभी गड्ढा खोदकर। मरने पर या तो दफन करते हैं भूमि के अंदर या जलाने पर ज्वाला के साथ धरा पर,अग्नि को सहन करती है।
बारिश हो,अंधड़ हो,सूर्य अग्नि वर्षा करें या चन्द्र शीतलता प्रदान करें। ज्वालामुखी फटकर लावा इसी पर बह निकले या भूकम्प आने पर कम्पन करना शुरू कर दे। लोहपथगामिनी धड़-धड़ाते हुए सीने पर से निकल जाए या बम-गोला-बारूद का भी कहर झेल जाए। वायु पथ गमन करने वाले यान हो,या जलपथ यान,सबको अपने में समेटे रखती है। प्रेम को सहलाती है तो गम को भी अपने से दूर नहीं होने देती,ऐसी होती है धरा उर्फ धरती,जो सारे संस्कारों के शेष अपशिष्ट को अपने में समेट कर नवीन रूप,बहुरूप प्रदान करती है। भूमिगत शुद्ध जल क्या है,धरा के अंदर खनिज भंडार क्या है ? धरा में तेल,गैस,मिट्टी का तेल,नमक,कोयला ये सब अपशिष्ट अपने में समेटकर उसे नवकरणीय रूप प्रदान करती है।
अन्न के १० दाने सैकड़ों में बदलकर खाद्य उत्पादन बढ़ाने का भी काम इस धरा का ही होता है। सार रूप में धरा-धरती,वसुंधरा….का हमारे जन-जीवन में अहम योगदान है। जो सबको धारण कर ले,उसे ‘धारयित्री’ उर्फ धरा कहेंगे ही, जिसकी फिक्र सबको करनी चाहिए।

परिचय-विनोद वर्मा का साहित्यिक उपनाम-आज़ाद है। जन्म स्थान देपालपुर (जिला इंदौर,म.प्र.) है। वर्तमान में देपालपुर में ही बसे हुए हैं। श्री वर्मा ने दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर सहित हिंदी साहित्य में भी स्नातकोत्तर,एल.एल.बी.,बी.टी.,वैद्य विशारद की शिक्षा प्राप्त की है,तथा फिलहाल पी.एच-डी के शोधार्थी हैं। आप देपालपुर में सरकारी विद्यालय में सहायक शिक्षक के कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए हैं। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत साहित्यिक,सांस्कृतिक क्रीड़ा गतिविधियों के साथ समाज सेवा, स्वच्छता रैली,जल बचाओ अभियान और लोक संस्कृति सम्बंधित गतिविधियां करते हैं तो गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षण सामग्री भेंट,निःशुल्क होम्योपैथी दवाई वितरण,वृक्षारोपण,बच्चों को विद्यालय प्रवेश कराना,गरीब बच्चों को कपड़ा वितरण,धार्मिक कार्यक्रमों में निःशुल्क छायांकन,बाहर से आए लोगों की अप्रत्यक्ष मदद,महिला भजन मण्डली के लिए भोजन आदि की व्यवस्था में भी सक्रिय रहते हैं। श्री वर्मा की लेखन विधा -कहानी,लेख,कविताएं है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचित कहानी,लेख ,साक्षात्कार,पत्र सम्पादक के नाम, संस्मरण तथा छायाचित्र प्रकाशित हो चुके हैं। लम्बे समय से कलम चला रहे विनोद वर्मा को द.साहित्य अकादमी(नई दिल्ली)द्वारा साहित्य लेखन-समाजसेवा पर आम्बेडकर अवार्ड सहित राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राज्य स्तरीय आचार्य सम्मान (५००० ₹ और प्रशस्ति-पत्र), जिला कलेक्टर इंदौर द्वारा सम्मान,जिला पंचायत इंदौर द्वारा सम्मान,जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सम्मान,भारत स्काउट गाइड जिला संघ इंदौर द्वारा अनेक बार सम्मान तथा साक्षरता अभियान के तहत नाट्य स्पर्धा में प्रथम आने पर पंचायत मंत्री द्वारा १००० ₹ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही पत्रिका एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित हुए हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-एक संस्था के जरिए हिंदी भाषा विकास पर गोष्ठियां करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा के विकास के लिए सतत सक्रिय रहना है।

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