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हमारी वसुंधरा

वन्दना पुणताम्बेकर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………

सम्मान करो,तुम वसुंधरा का,
जिसने हमको जीवनदान दिया है।
मत भूलो तुम उसके ऋण को
जिसने वायु-प्राण दिया है,
सम्मान करो…॥

जल रही अंगारों से वसुधा,
अब इसे बचाना है,
अपनी सुन्दर वसुंधरा को।
फिर से हरा बनाना है,
सम्मान करो…॥

इसी पावन वसुंधरा पर,
नानक,गौतम,राम हुए हैं।
लाखों वीर कुर्बान हुए हैं,
युगों-युगों के इतिहासों के
बलिदानों को इसने देखा है।
ना जाने कितने सपूतों को
अपने आँचल में समेटा है।
सम्मान करो…॥

वसुन्धरा के कण-कण में
उपजे हीरे-मोती है,
धन-धान्य के भंडारों से
लहलहाती खेती है।
अपनी इसी वंसुधरा को,
मिलकर हमें बचाना है।
सम्मान करो…॥

दिन-प्रतिदिन सूख रही वसुंधरा,
मानव अत्याचारों से।
जाग उठो अब दुनिया वालों,
आगे कदम बढ़ाना है,
अब वसुंधरा के ऋण को मिलकर
हमको इसे चुकाना है।
सम्मान करो…॥

वसुंधरा के कण-कण में पौधों के
नए अंकुर लगाना है।
पर्यावरण बचाकर अपनी,
वसुंधरा बचाना है।
अपनी वसुंधरा बचाना है।
सम्मान करो…तुम वसुंधरा का॥

परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर १९७० है। इंदौर जिला निवासी वंदना जी की शिक्षा-एम.ए.(समाज शास्त्र),फैशन डिजाईनिंग और आई म्यूज-सितार है। आप कार्यक्षेत्र में गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधियों के निमित्त आप सेवाभारती से जुड़ी हैं। लेखन विधा-कहानी,हायकु तथा कविता है। अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं,जिसमें बड़ी कहानियां सहित लघुकथाएं भी शामिल हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-रचनात्मक लेखन कार्य में रुचि एवं भावनात्मक कहानियों से महिला मन की व्यथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है। प्रेरणा पुंज के रुप में मुंशी प्रेमचंद जी ओर महादेवी वर्मा हैं। इनकी अभिरुचि-गायन व लेखन में है।

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