कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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आजाद भारत की उड़ान…
उठो जवानों सीना तानो, हिन्दुस्तान हमारा है,
टूट पड़ो और दूर भगाओ दुश्मन मार भगाना है।
याद करो कुर्बानी उनकी, उनका कर्ज़ चुकाना है,
तलवारों की धार सही वीरों ने, लहू का मोल चुकाना है।
देश की खातिर प्राण गंवाए, हम कुछ तो फर्ज निभाएं,
कतरा-कतरा लहू बहा था, तभी तो वो शहीद कहलाए।
जश्न मना रहे थे घरों में, वो गोली खा रहे थे सीने में,
खुश हो रहे थे हम घरों में, खून की होली खेली वीरों ने।
इस तिरंगे की खातिर वीरों ने प्राण गंवाए,
अंत समय में तिरंगे में लिपटे, वही शहीद कहलाए।
उन शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ न जाने पाए,
उठो जवानों सीना तानो, देश का मान बढ़ाएं।
आजादी का जश्न मनाएं, हिन्दुस्तान हमारा है,
कर कमलों से तिरंगा फहराएं, हिन्दुस्तान हमारा है॥
परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”