जिंदगी लेती परीक्षा

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पर+इच्छा=परीक्षा,पर मायना होता है दूसराइच्छा मतलब है मर्जी। जो दूसरे की इच्छा से हो,अपनी कोई मर्जी न चलेउसे ही सब 'परीक्षा' कहते। परीक्षा का…

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मेहनत जरूरी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** कड़ी मेहनत के बिना,सफलता नहीं मिलती हैबिना कुआं खोदे,प्यास नहीं बुझती है। मेहनत के साथ जब,अच्छी किस्मत होती है।तब ही हमारी जिंदगी,अच्छे से संवरती है।…

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हाय-हाय गरीबी…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** जीवन को उलझाय गरीबी,अँखियन आँसू लाय गरीबीदाने-दाने ललचाय गरीबी,अपचार को लुभाय गरीबी।हाय-हाय… अशिक्षा भी बुलाय गरीबी,कुसंस्कार दिखलाय गरीबीसदा गंदगी भाय गरीबी,बीमारी भी बुलाय गरीबी।हाय-हाय… आलस दास को…

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पकौड़े का इश्क़

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** आज एक पकौड़े सेमुलाकात हुई,कढ़ाई में तैरते तैरते हीबात हुईहमने कहा-बड़े मजे आते हैं तुम्हेंनमक-मिर्च लगाने में,उसने भी कह दिया-थोड़ा रुको!अभी समय लगेगामुझे प्लेट में आने में।…

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किस दुनिया में चला गया

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मेरे सपनों को तू तोड़ गया,कितनी उम्मीदें थीं हमकोपर तू उसे तोड़ गयावादा निभाएगा यह बोला था,पर तू किस दुनिया में चला गया। लाख भूलने…

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गम है इस बात का

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** मानती हूँ तुम्हें अपना,तुम्हीं हो मेरा सपनाएहसास नहीं तुम्हें इसका,गम है मुझे इस बात का। आमने-सामने आते जब,मिले नजर से नजर हमारीलगे तुम तो हो भँवरा भटका,गम है…

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क्या है कविता ?

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** ये लफ्जों की कारीगरी है भईया,इसमें करामात तो होनी चाहिएशब्दों का मेला है कविता साहेब,इसमें दुनिया तो खोनी चाहिए। महज तुकों-छंदों से कुछ नहीं होता,इसमें कुछ…

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बचपन का प्यार न भुलाया

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** इश्क वो बचपन का अब लौटाने आया हूँ,बदल गई मुहब्बत, यार, प्यार ये समझाने आया हूँएक दिलरुबा पर सबको ठुकराने आया हूँ,दिल की सिमटी यादें…

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नज़र से नज़र

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* नज़र ने नज़र से कहा,- ख़ामोश क्यों है ? आज इतनी,नज़र ने नज़र से कहा-नहीं मैं तो हूँ बस थकी हुई सी। नज़र ने नज़र को…

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अज्ञान

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* धरा से बुलाने की, ईश्वर आहट दे देते हैं,ईश्वर का बुलावा मनुष्य भी जान लेते हैं। तैयारी शुरू करता है रोग, तन में आकर,परिजन समझ नहीं…

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