आओ मतदान करें

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* आओ हम मतदान करें,अपने मत का प्रयोग करें। सुबह ही चले जाएँ बूथ पर,बटन दबाएं अपने चिन्ह पर। जाति-धरम की बात न सोचें,योग्य उम्मीदवार…

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त्याग-तपस्या है रंग भगवा

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हम सबकी आन, शान है रंग भगवा।भारत माता का निशान है रंग भगवा। संपूर्ण भारत में, डोल रहा है रंग भगवा।देशभक्तों के अंग में, चमके रंग…

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ज्वालामुखी फूट पड़ा

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* किसी हमदर्द ने,वो पुराना ज़ख्मअनजाने में कुरेद दिया,दर्द गहरा थामरहम-पट्टी कर,थोड़ा दबा रहा। ज्वालामुखी जो अंदर था,अन्याय के कारण फूट पड़ाआँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा, जिस…

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नारी, तेरी क्या कहानी!

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** ओ नारी, तेरे जीवन की भी, क्या अजीबो-गरीब कहानी है ?दमन में बीता बचपन है तेरा, और जुर्म में बीती जवानी है। किशोर हुई मासिक धर्म…

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प्यार तेरा नहीं मिला

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ तेरे लिए जीए हम,प्यार तेरा नहीं मिला बहुत सहा लोगों के,हर एक सितम कोप्यार तेरा नहीं मिला...। दुआ हमने मांगी थी,कि तेरा साथ मिलेगा पर वक्त ने…

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कृपा आप कीजिए

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** शीश चन्द्र हैं सजाए,सर्प कंठ लटकाएआशुतोष कृपावंत,कृपा आप कीजिए। अंग भभूति लगाए,गंग जटा में समाएभोलेनाथ त्रिपुरारी,आप सुधि लीजिए। हाथ में त्रिशूल साजे,बाँए अंग गौरा राजेशिव शंभू भोलेनाथ,मुझको…

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छलक आए आँसू

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* क्यों छलक आए हैं मेरी आँखों से ये आँसू ?रोकना चाहती हूँ, फिर भी आ ही जाते हैं ये आँसू। कोई क्यों नहीं पहचानता मेरे जज्बातों…

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मर्म के आँसू… छलक आते हैं

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** अपनों को देखकर,आँखों से जो छलक आते हैंवो मर्म के आँसू होते हैं,रोके रुकते नहीं हैंबस बहते चले जाते हैं,हृदय का स्पंदन होते हैं। मन के भावों…

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कहते एक बार तुम प्रियवर

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* मैं निज सर्वस्व दे देती, कहते एक बार तुम प्रियवर।तन-मन का हर कण दे देती, कहते एक बार तुम प्रियवर॥ काँटों को में दूर हटाकर,…

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खो जाना भी बेहतर

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** खो जाना भी कभी-कभी बेहतर होता है,कम से कम पता तो लगे कि, कौन-कौन रोता है ? जिनके लिए ज़माने में फरिश्ता था मैं,गुम हुआ तो समझा,…

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