नव वर्ष मंगल-कामना

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** नव प्रभात नव वर्ष चलो सब हिलमिल जाएँ,चिर प्रणम्य यह धरा चलो जय भारत गाएँपावन गंगाजल भर मंगल कलश सजाएँ,नव अशोक पल्लव से वंदनवार बनाएँ। राष्ट्रनायकों का…

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तुम कौन होते हो ?

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* हिंदू सूर्य की पूजा करते हैं,मुसलमान चाँद में आस्था रखते हैंलेकिन सूरज कब कहता है कि,मैं रोशनी केवल हिंदू को दूंगाचाँद कब कहता है…

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माँ शैलपुत्री

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* चरण वंदना आपकी हे माता शैलपुत्री,नमन स्वीकार करिए हे माता शैलपुत्री। पधारीं हैं माता भक्तों के घर शैलपुत्री,भक्तों का भाग्य संवारेंगी माॅ॑ शैलपुत्री। विराजो हे माता,…

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अपना नव संवत्सर निराला

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** कैसे मनाऊँ नव वर्ष प्रियवर ? यह देश बेगाना हैसिंगापुर की धरती से बस, आज लौट के आना है। गए थे शिक्षक भ्रमण हेतु, शिक्षा विभाग…

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जीवन जीना

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* हमारे पास जो कुछ है,उसे साझा करनादूसरों से जुड़ने का,एक खूबसूरत तरीका है। हमारी 'मित्रता' उदारता की,किसी भी गुणवत्ता सेबहुत अधिक बड़ी होती है। इससे भी…

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क्यों कुचल देते हैं लोग ?

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** कितनी कोमल कितनी सुंदर कितनी छबीली होती हैं बेटियाँ,फिर भी न जाने क्यों करते हैं लोग मूर्खता में इनकी अनदेखियाँ। दिख जाता है किसी मुस्कुराती बेटी…

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संवत बदल गया…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** लो सूरज फिर ढल गया…पंचांग का पृष्ठ भी, आज से बदल गया,संवत भी साल भर चल, अब चल दिया। अच्छा गुजरा बुरा गुजरा, वो…

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अपने सुख में भूल गए सब

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** अदंर-बाहर में धुँधला-सा,तम फैला चहुँ दिशि गहरा-सा मैं क्यों कह दूँ अम्बर रोता,और क्यों पूछूँ, क्यों उलझा-सा ? वृक्ष कटे सुलग रही धरती,वाहन बोझ सिसक रही धरतीउद्योगों…

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चाहत में इसे बदलाता है

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** इन फूलों पर बैठी तितली, भौंरों से नित राग लड़ाती हैभौंरे ने भी इनसे चूसा है कुछ,ये भी इनसे कुछ खाती है। फूल मुग्ध रंग-रस पे…

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अपने हैं तो…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मुश्किलों के दौर में हमेशा,अपनों के साथ रहिएमिट जाएंगे सारे ग़म,बिल्कुल न उदास रहिए। अपने हैं तो हर ग़म का,निश्चित समाधान होगाकोई नासमझ ही होगा जो,अपनों से…

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